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रंगों की रंगोली में
साथ सभी के टोली में।
प्यार का रंग बरसातें हैं
प्रिये आओ अबकी होली में।
फागुन का खूब चढ़े खुमार
रस घोल दो ऐसी बोली में।
गिले-शिकवे भूल मिल जाएं गले
मीत आओ अबकी होली में।
हर चेहरे पे मुसकान सजे
खुशियों से हर मन महके।
इतना रंग भर दो हर झोली में
सखा आओ अबकी होली में।
जग से विषाद सारा मिट जाए
मस्ती में जहाँ सिमट जाए।
उड़े गुलाल हम नाचे-गाएँ
यारा आओ अबकी होली में।
# मुकेश सिंह
परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl
शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl
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Sat Mar 10 , 2018
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