
धनगर ग्वाल समाज का, बहुत बड़ा इतिहास।
दूध दही नदियां बहे, कृष्ण रहे विश्वास।।
जयजय प्यारे ग्वाला भाई ।
सवा रुपे में करें सगाई।।1
लड़ते कुश्ती नाल उठाते ।
सेना में भी धाक जमाते।।2
पूजें जाख भुजरिया गावे।
देव छठ भी खूब मनावे।।3
खीर पुरी औ कड़ी बनाई।
देवन भोग लगाते भाई।।4
जहां ग्वाल बस्ती है भाई।
छावनी पंचो की कहलाई।।5
घर के रार यहीं हल होते।
म्हाते चौधरी न्याय सुनाते।।6
गाते रसिया फागुन होरी।
धोती कुर्ता ब्रज की बोली।।7
लहंगा लुगरा तन पे अंगिया।
कड़ी आमले आयल बिछिया।।8
ब्याह समय हरदौल बुलाते।
पान बतासे भोग चढ़ाते ।।9
लगन पत्रिका जब लिखवाते।
पूर्वजनों को नौत बुलाते।।10
हरिया बांस से मंडप छाये।
सखियां मंगल कलश सजायें।।11
कंकन डोरा द्वार रुकाई।
गूंथ खोलकर करें विदाई।।12
भोजन करते सभी बराती।
सखियां हंस हंस मंगल गाती।।13
सन अड़तालिस उन्नीस आया।
आगर चिकली उत्सव छाया।।14
भूरा पटेल मंदिर बनवाया।
सकल पंच को नौत बुलाया।।15
दूर-दूर से गाड़ी आई।
तीन दिनों तक भई गवाई।। 16
समाज सुधार नियम बनाये।
सब टोलिन को फेंटा बंधवाये।17
देवीलाल ने संगठन बनाई।
सन अस्सी में ज्योत जलाई।।18
धनगर ग्वाल समाज कहाई।
दुलारे जी इतिहास बनाई।।19
अहिर गाडरी गूजर ग्वाला।
इन चारों में हेला मेला।। 20
गोत अट्टाइस इसमें पाई।
सबके खेड़ा अलग कहाई।।21
खिरावली गुलोदरा सोई ।
तीनों खेडा कोकंदे। होई।।22
पासड़ परा गुठिना दिनार।
बहादुर बरावली हिन्नवार।।23
ग्यारह खेड़ा रियार बसाई।
टुडिला कठवा आदि कहाई।।24
सुरा भदरोली डगरबरासी।
रोतेले रतबाई वासी।।25
सुनावली डोंगरपुर भाई।
खेडा मसानिया कहलाई।।26
छरेंटगांव चंदेल बसाई।
हांस गौत्र परा से आई।।27
कूमिया दिवारा अरु पवाई।
खेड़ा सपा देपरा भाई।।28
नरवर दुबेले गांव बसाई।
सूरी बेहट निगोते आई।।29
जगमनपुर पावई पचेरा।
पवाई सरवर सागर खेड़ा।।30
चन्दुपुरा गड़ोली गुठोना।
तीनो ठौर गुजेले आना।।31
दयेली धौलपुर भमनिया।
मऊमोहरी बसे मोहनिया।।32
खेड़ा बनिये खरोवा गोहद।
फुलसुंगा ग्वालियर आरोन।।33
बुलेटा चन्युपुरा लाचूरी।
अरु मालवा गांव पचोरी।।34
पिपरसनो सिरसोद बडेरो।
अहिर गोत को यही बसेरो।।35
गुगर गुलोर थम्मार बसाई।
दुई जवार कछवाये आई।।36
रैकबार चौसंगी खेड़ा।
ररा बनवार रतबइ रोरा।।37
राठौर भिंड पडरिया परोली।
ग्वाला सब गोगरे लखोनी ।।38
सुमावलि सतोगिया बसाई।
सिंगार धेमना मोरिया भाई।।39
ग्वाल महिमा अलख जगाई ।
पढ़ो लिखो सब ग्वाला भाई।।40
बेटी का सम्मान करें, दहेज प्रथा विरोध।
संगठित हो सेवा करें, दूर हटें अवरोध।।
डाॅ दशरथ मसानिया