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हवाओं से कहना तुम,
तीव्र वेग से बहते हुए जाएं।
इन बेरहम घटाओं को,
दूर कहीं छोड़ आएं।
पर कहना उनसे,
यहीं पास ही एक गरीब सोया है।
बिन बात न शोर मचाएं,
उसकी नींद में खलल बन
अभी न उसे जगाएं।
उसकी छोटी-सी कुटिया में,
परी-सी एक बिटिया रहती है।
जिसे बिजली कड़कने से डर लगता है,
उसके सपनों को बादल की अकड़ से बचाएं।
बूंद-बूंद जब छत से टपकते हैं,
वह निराशा के भंवर में खो जाती है।
घर के फटे चीथड़ों को बचाते हुए,
वह हर बार खुद ही भीग जाती है।
पर परेशानी तो उसे तब होती है,
जब किताबों को बूंदें छू जाती हैं।
विद्यालय की वर्दी भी,
जल से मग्न हो जाती है।
कहना हवाओं से तुम,
अपनी पूरी ताकत दिखलाएं।
इन आवारा मेघों को,
प्यार का मतलब समझाएं।
कहना हवाओं से तुम,
मलय गीत बन जाएं।
प्रेम का राग सुनाकर,
परियों के जीवन को महकाएंll
# मुकेश सिंह
परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl
शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl
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