दिल्लगी 

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sunita upadhyay
फासला कम मैं कर दिखाती हूँ।
प्यार को अपने आजमाती हूँ॥
तिश्नगी मेरी क्यों नहीं बुझती।
ओस से अपना दिल जलाती हूँ॥
आप-बीती चलो मेरी सुन लो।
सभी छिपी बातें अब बताती हूँ॥
क्या मिला जान दे के भी मुझको।
दिलजले से जिया लगाती हूँ॥
वो नहीं समझे प्यार को मेरे।
रूठता जब वो मैं मनाती हूँ॥
सामने करता बेवफाई वो।
मैं वफा के ही नगमे गाती हूँll
रास्ते प्यार के अजूबे हैं।
उस डगर पर मैं आज जाती हूँ॥
#सुनीता उपाध्याय `असीम`
परिचय : सुनीता उपाध्याय का साहित्यिक उपनाम-‘असीम’ है। आपकी जन्मतिथि- ७ जुलाई १९६८ तथा जन्म स्थान-आगरा है। वर्तमान में सिकन्दरा(आगरा-उत्तर प्रदेश) में निवास है। शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत)है। लेखन में विधा-गजल, मुक्तक,कविता,दोहे है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय सुनीता उपाध्याय ‘असीम’ की उपलब्धि-हिन्दी भाषा में  विशेषज्ञता है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी का प्रसार करना है। 

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