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नव वर्ष का प्रथम दिन है पावन,
करते हैं हम सबका अभिवादन।
सबक़ो मंगलमय हो नूतन वर्ष,
मन में उमंग नई आशा नया हर्ष॥
पूर्व दिशा से नवोदित दिनकर,
स्वर्णमयी आभा छाई नभ पर।
नई किरणें नव प्रभात है प्यारा,
फैला सारी धरती पर उजियारा॥
कण-कण धरती का आलोकित,
हुआ सृष्टि का हर जीव आनंदित।
ईश्वर हमारे हैं जगत के पालनहार,
सदा रक्षक बनकर करते उपकार॥
उदासी तुम्हारे कभी निकट न आए,
जीवन हमेशा खुशियों से भर जाए।
प्रगति पथ पर हर पल बढ़ते जाएँ,
सफलताएँ तुम्हें सदैव मिलती जाएँ॥
जनक,जननी,गुरु का करते सम्मान,
इनके आशीष से ही मिलता वरदान।
हाथ जोड़कर ‘रिखब’ करता वन्दन,
माटी से हम बन जाएँ दिव्य चन्दन॥
#रिखबचन्द राँका
परिचय: रिखबचन्द राँका का निवास जयपुर में हरी नगर स्थित न्यू सांगानेर मार्ग पर हैl आप लेखन में कल्पेश` उपनाम लगाते हैंl आपकी जन्मतिथि-१९ सितम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-अजमेर(राजस्थान) हैl एम.ए.(संस्कृत) और बी.एड.(हिन्दी,संस्कृत) तक शिक्षित श्री रांका पेशे से निजी स्कूल (जयपुर) में अध्यापक हैंl आपकी कुछ कविताओं का प्रकाशन हुआ हैl धार्मिक गीत व स्काउट गाइड गीत लेखन भी करते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-रुचि और हिन्दी को बढ़ावा देना हैl
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