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ये जमाना तितलियों की बात करता है,
तो इशारा बिजलियों की बात करता है।
यहां अजनबी लहरें बह आती हैं क्योंकि,
किनारा भी मछलियों की बात करता है॥
रातों में दिखे थे वो उलझते हुए तब से,
अंधेरा भी मकड़ियों की बात करता है।
जिसे छोड़ आए हम कहीं दूर इलाको में,
बसेरा उन झोपड़ियों की बात करता है॥
मुंह उठाकर रोशनी की तरफ मत देखो,
सवेरा कहां सर्दियों की बात करता है।
हां खोले हैं हमने भी उड़ान भरने पर,
तुम्हारा मन पक्षियों की बात करता है॥
तू खुश है जब तक सब पास है वरना,
याराना भी बेदर्दियों की बात करता है।
शम्मा ही जलाना है तो मुझे लिटा दे,
उजाला भी लकड़ियों की बात करता है॥
मौसम भी आजकल बेखबर है मदहोश,
दीवाना तभी सदियों की बात करता है।
कभी हमें भी दे दे मौका दीदार करने का,
आशियाना मस्तियों की बात करता है॥
घूंघट नहीं है फिर भी मर्यादा चाहिए,
पहनावा अब मर्जियों की बात करता है।
जरूरत है जहां,वहां पर मुंह फेरकर,
पुलिसवाला वर्दियों की बात करता है॥
अंधे शहर में अंधाधुंध मौज देख ‘रानू’
हर बेगाना लड़कियों की बात करता है॥
#रानू धनौरिया
परिचय : रानू धनौरिया की पहचान युवा कवियित्री की बन रही है। १९९७ में जन्मीं रानू का जन्मस्थान-नरसिंहपुर (राज्य-मध्यप्रदेश)है। इसी शहर-नरसिंहपुर में रहने वाली रानू ने जी.एन.एम. और बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-नरसिंहपुर है तो सामाजिक क्षेत्र में राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ी हुई है। आपका लेखन वीर और ओज रस में हिन्दी में ही जारी है। आपकॊ नवोदित कवियित्री का सम्मान मिला है। लेखन का उद्देश्य- साहित्य में रुचि है।
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