बज गया डंका चुनाव का,
लो फिर हुई यह रेस शुरु।
मैं सच्चा कि-तू झूठा,
की चल पड़ी है होड़ शुरु।
कोई घुमराए मज़हब से,
कोई रिझाए नोटों से,
कोई डराता ताक़त से,
कोई लुभाए बड़े नामों से।
जनता की तकलीफों को,
अभी तो सब अपना बतलाते हैं,
जनता चाहे जाए चूल्हे में
जब वोट इन्हें मिल जाते हैं।
कोई करे जात की राजनीति,
कोई फुसलाए गठजोड़ से,
कोई दिखाए सपने सलोने,
किसानों को आशा के खिलौने।
बाँट रहे साइकलें-लैपटॉप,
वक़्त आने दो एक दिन,
छीन के ले न जाए सब,
देख रह जाओगे चुपचाप।
जनता बोली,फिर ठगने को,
आ खड़े हुए मैदान में,
इनको है कितना भरोसा,
हमारा सब्र परखने को।
#साक्षी पेम्मरजु ‘स्वप्नाकशी’
परिचय : बैंगलोर में निवास कर रही साक्षी पेम्मरजु ‘स्वप्नाकशी’ का इंदौर से भी नाता है,क्योंकि मध्यप्रदेश के झाबुआ से इन्होंने अपनी पढ़ाई की है। बचपन से हिन्दी में कविताएँ लिखने का इनका शौक अब तो जुनून है,जो स्वप्नाकशी नाम से देखने में आता है। फिलहाल यह सॉफ़्टवेयर इंजीनियर के रुप में कार्यरत हैं।
बहुत शानदार साक्षी
Wow that’s very nice .. keep it up.. God bless you.. ” डंका चुनाव का “