आओ मिलकर दीप जलाएं

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mukesh bohara
आओ दीवाली,धूम मचाएं,
मिलकर खुशियां,खूब मनाएं।
सच में सबको मिले दीवाली,
आओ मिलकर दीप जलाएं॥
हर चेहरे पर,रौनक निखरे,
खुशियों की, फुलझड़ियां बिखरे॥
सबको खुशियां,प्यार बहुत-सा,
देने का संकल्प उठाएं।
आओ दीवाली,धूम मचाएं,
मिलकर खुशियां,खूब मनाएं।
राम आगमन,के पावन दिन,
भूखा न हो, कोई जन-मन॥
घर-चौबारे,मन के द्वारे,
मंगल वंदनवार सजाएं।
आओ दीवाली,धूम मचाएं,
मिलकर खुशियां, खूब मनाएं।
महावीर निर्वाण, दिवस पर,
गले मिलें हम,सबसे हंसकर।
मन की माटी महकाकर हम,
हर घर-आंगन दीप जलाएं।
आओ दीवाली,धूम मचाएं,
मिलकर खुशियां,खूब मनाएं।
जिन्हें जरूरत,उनको मान दें,
प्यार,स्नेह,और अपनापन दें।
जहां गहरा है,घुप अंधियारा,
आओ चले वहां,अलख जगाएं।
आओ दीवाली,धूम मचाएं,
मिलकर खुशियां,खूब मनाएं॥
(अभाव,तकलीफ में जी रहे लोगों को समर्पित)
                                                                 #मुकेश बोहरा ‘अमन’ 
परिचय : मुकेश बोहरा ‘अमन’ अधिकतर बाल रचनाएँ रचते हैं। आप पेशे से अध्यापक होकर बाड़मेर (राजस्थान) में बसे हुए हैं।

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