मर्यादा

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shivani gite

है तुमको रहना।रामायण की सीता का भी तो सबसे बस यही है कहना॥

लांघी थी उसने एक लक्ष्मण रेखा।फिर हुआ एक संग्राम,जो था समस्त विश्व ने देखा॥

ठहराया था सबने सीता को दोषी।क्यों नहीं देखी किसी ने राम की खामोशी॥

कर दिया खड़ा कठघरे में सबने सीता को।क्यों किसी ने कुछ नहीं कहा उस दुष्ट रावण को॥

कहती रही वो सबसे-हूं मैं अभी भी पावन।काश एक बार राम ने भी कहा होता-प्रिये उदास न हो,गलत तो था वो रावण॥

निकाल दिया सबने सीता को अयोध्या से,  किसी ने उसकी एक न मानी।राम भी खड़े थे उस भीड़ में,जो थी असल  सत्य से अनजानी॥

देनी पड़ी सीता को अग्निपरीक्षा।क्या इसी क्षण की,की थी उसने चौदह वर्ष  तक प्रतीक्षा॥

राम नाम लेते-लेते जिसका मुख नहीं था  थकता।     फिर उसी सीता के लिए थी,राम की ये कैसी बेबसता॥

रोती हुए सीता चली गई एक वन में।कहती किससे वो,आ गया था जो दुख उसके जीवन में॥

होता रहेगा नारी का,और कितना अपमान।न जाने करती रहेगी वो कितने बलिदान॥

   #शिवानी गीते

परिचय: लेखन में शिवानी गीते का उपनाम-वाणी है। इनकी जन्मतिथि-३ अगस्त १९९७ तथाजन्म स्थान-खरगोन(मध्यप्रदेश)हैl आप वर्तमान में इंदौर में निवासरत हैं। शिक्षा-बीए(पत्रकारिता एवं जनसंचार) है तो पेशा यानी कार्यक्षेत्र भी पत्रकारिता ही हैl लेखन के नाते ही समाज से जुड़ाव है। दैनिक अखबार में कविता प्रकाशित हुई है तो उपलब्धि यही है कि,प्रसिद्ध समाचार वेब पोर्टल पर लेख लगे हैं। इनके लेखन का उद्देश्य दूसरों तक अपने  विचार भेजना एवं समाज में हो रही गतिविधियों की आमजन को जानकारी देना है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।