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चौकी-चूल्हा छोड़ चली है देखो अब भारत की नारी।
देशहित में रण में पहुँची है अब भारत की ये नारी॥
बन रानी झांसी की देखो कहर अपना बरपाएगी।
कल तक शबनम थी देखो,आज शोला बन झुलसाएगी॥
चली है रण में लिए हौंसला,जलवा नया दिखाएगी।
प्रहरी-रक्षक बन ये,अपने लाज वतन की बचाएगी॥
फौलादी मंसूबों को लेकर,बैरी को नोच खाएगी।
चतुरंगिणी सेना में चक्रव्यूह बनाएगी॥
लिए ध्वजा को हाथ में,हाडा रानी कहलाएगी।
निज प्राणों की छोड़ फिकर,छठी का दूध याद कराएगी॥
कल की अबला, सैन्य बल में जंग फतह कर आएगी।
स्याह सुनहरी से, ये सैनिक ‘शौर्य’ गाथा लिख पाएगी॥
चामुंडा का रूप ये अबला,नाम अमर कर जाएगी।
अबला नहीं हैं,अब है सबला,साबित कर दिखाएगी॥
#संदीप भट्ट ‘शौर्य’
परिचय : व्यवसाय से वकील संदीप भट्ट ‘शौर्य’ लिखने का खासा शौक रखते हैं। राजस्थान के डूंगरपुर में आपका निवास है। यही जन्म स्थान तथा जन्मतिथि १६ मई १९८२ है। बीएएलएलबी तक शिक्षा हासिल करके डूंगरपुर में ही वकालत करते हैं। उपलब्धि यही है कि,नवोदित रचनाकार के रूप काव्य गोष्ठी में शामिल होते रहते हैं। एक मंच पर सम्मान भी मिला है। लेखन का उद्देश्य-जनचेतना, और मन के भावों का संदेश अन्य तक पंहुचाना है।
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