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जो सत्ता में बैठा है, उसका गरूर लाजमी है,
खुदा नहीं है वो मगर, थोड़ा सरूर लाजमी है।
नादां है वो, जो खुद को बादशाह समझता है,
चुनें न जो हम उसे, उसकी फकीरी लाजमी है।
हम बहुत कमजोर हैं, ये तो मालूम है हमें,
कह दो उससे,उसका डरना जरूर लाजमी है।
दीये हैं हम, उसे रोशनी में कहां नजर आएंगे,
हमारे बाद मगर, घोर अंधेरा हुजूर लाजमी है।
वो तो गिद्द हैं, तुम पर बुरी नजर ही डालेंगे,
आबरू बचा लो वर्ना, लुट जाना लाजमी है।
झूठ-फरेब की उम्र ज्यादा नहीं होती मियां,
तेरा एक दिन नजरों से गिर जाना लाजमी है।
तराशा है बड़ी फुर्सत से खुदा ने उस हुस्न को,
देख उसको, मेरा यूं दिवाना हो जाना लाजमी है॥
#रविंद्र नारोलिया
परिचय : इंदौर(मध्यप्रदेश) के परदेशीपुरा क्षेत्र में रविंद्र नारोलिया रहते हैं। आपका व्यवसाय ग्राफिक्स का है और दैनिक अखबार में भी ग्राफिक्स डिज़ाइनर के रुप में ही कार्यरत हैं। 1971 में जन्मे रविंद्र जी कॊ लेखन के गुण विरासत में मिले हैं,क्योंकि पिता (स्व.)पन्नालाल नारोलिया प्रसिद्ध कथाकार रहे हैं। आप रिश्तों और मौजूदा हालातों पर अच्छी कलम चलाते हैं।
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