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कुछ बात दिल में रह गई कहने के बाद भी,
उद्विग्न रह गए हम मिलने के बाद भी।
करने के लिए जिंदगी में काम है इतना,
फुर्सत नहीं जरा-सी मरने के बाद भी।
सुख छोड़कर कहीं भी वह रह नहीं सका,
नित सैकड़ों मुसीबत सहने के बाद भी।
कुछ कर नहीं सकेगा अपने भविष्य में,
जो व्यक्ति सो गया है जगने के बाद भी।
उपजीविका की खातिर भटकन बनी हुई,
दुर्भाग्य आजकल है पढ़ने के बाद भी।
उगता है सूर्य अब तो पश्चिम की दिशा में,
देखा गया है उसको ढलने के बाद भी।
कितना कठिन है पढ़ना उल्फत का पहाड़ा,
अक्सर जो भूल जाता रटने के बाद भी॥
#डॉ.कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’
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