जग में जिससे आशाओं की,
किरणें होती हैं जगमग
है जगजननी धरा में वह,
सर्वत्र पूजते उसके पग।
उजियारा जीवन कर दो
बेटा-बेटी भेद न करना,
सपनों के संसार में मुझको
पंख लगाकर उड़ने दो,
पवित्र रिश्तों के बंधन को,
संजोए हूँ मैं पग-पग।
जग में जिससे आशाओं की,
किरणें होती हैं जगमग॥
शीश उठाए हूँ मैं भार
लेखनी की शक्ति दे दो,
मुझको जीने का अधिकार
ज्ञान के दीपक से ही बेटी,
नाम अमर कर जाएगी
गर्व से मात-पिता का शीश,
होगा ऊंचा जग में अब।
जग में जिससे आशाओं की,
किरणें होती हैं जगमग॥
करो न कोख में अत्याचार
बेटी अबला रहे न बनकर,
सपने इसके करें साकार
भारतमाता की सेवा में,
करुं समर्पित अपना हर पग।
जग में जिससे आशाओं की,
किरणें होती हैं जगमग…॥
#भुवन बिष्ट
परिचय: भुवन बिष्ट का जन्म स्थान-रानीखेत और जन्म १ जुलाई १९८० को हुआ हैl आपका निवास मौना (रानीखेत) जिला-अल्मोड़ा (
उत्तराखंड) में हैl आपने परास्नातक के साथ ही बी.एड.भी किया हैl साथ ही मास्टर इन कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर टेक्नोलाजी,डिप्लोमा इन हार्डवेयर टेक्नोलाजी एन्ड नेटवर्किंग भी किया हुआ हैl निरंतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कविता,लेख तथा कहानी लेखन आदि प्रकाशित होते हैंl आपको काव्य भूषण सम्मान,बाल कविता लेखन में पुरस्कृत,भारत विकास परिषद द्वारा सम्मान मिला हैl आकाशवाणी अल्मोड़ा से रचनाओं का प्रसारण,रेडियो स्टेशन कुमांऊ से भी रचनाओं का प्रसारण हुआ हैl प्रकाशित पुस्तकोण में `जीवन एक संघर्ष`(काव्य संग्रह)हैl कुछ प्रकाशन प्रक्रिया में हैंl