‘मॉम’ लाजवाब(समीक्षा)

0 0
Read Time4 Minute, 59 Second
edris
बलात्कार एक ऐसा घिनौना कृत्य है,जिसके बारे में कई लोग बात करने से भी कतराते हैं..
यह न केवल जिस्म का होता है,वरन रुह का भी होता है। और जो इंसान इसे भोगता है,उस पीड़ित को न केवल परिवार, बल्कि पूरे समाज में उपेक्षा देखना पड़ती है,
इसीलिए सरकार को नोटबन्दी,जीएसटी  के साथ इस पर भी सख्त कानून की दरकार है कि वहशी लोग इस अपराध के नाम से ही कांप जाएं। तो ‘मॉम’ बेहद संजीदा विषय को उतनी ही खूबसूरती से बयां की गई फ़िल्म है,जिसके लेखक गिरीश कोहली ने रिश्तों के ऐसे ताने-बाने बुने हैं,जो उनकी कलम की धार दिखा गए हैं। उतनी ही खूबसूरती से निर्देशक रवि उधयावर ने फ़िल्म के साथ न्याय किया है। बता दें कि श्रीदेवी का ये ५० वा बसन्त था फ़िल्मों में। उनकी पहली फ़िल्म १९६७ में तमिल कन्दन करुवर आई थी,जब वह केवल ४ साल की थी, और ये श्री की ३०० वीं  फ़िल्म है। श्री भारतीय चित्रपट की लाजवाब अभिनय की समझ के साथ असीम गहराइयों तक छूने और किरदार को जीवन्त बना देने वाली अभिनेत्री है। अभिनय के हर रस श्रृंगार,हास्य, करुण,रौद्र,वीभत्स, भयानक,शांत,वीर में अंतगृह की कई गहराइयों तक रची बसी है ओर किरदार के साथ पूरा न्याय करते हुए सजीव चित्रण प्रस्तुत करती है।
फ़िल्म की कहानी देवकी सबरवाल जो सौतेली माँ है और उसकी युवा बेटी के रिश्तों की तकरार से शुरु होती है। इसमें  श्री सबरवाल (अदनान सिद्दीकी पाकिस्तानी अदाकार) संजीदा अभिनय दिखा गए हैं। कहानी के अनुसार यहाँ
बेटी का दुष्कर्म हो जाता है,जो उसके ही साथी जगन(अभिमन्यु सिंह)एवं अन्य करते हैं।
अब माँ क्या करे? यह
एक बड़ा सवाल है कि,
पुलिस के पास तार-तार हुई इज़्ज़त लेकर जाए,या  फिर कचहरी के गलियारों में मुहर्रिर की मुनादी पर बार-बार जवान बेटी की इज़्ज़त लुटते हुए बर्दाश्त करे,और इंसाफ की चाह में बची-खुची इज़्ज़त भी दांव पर लगा दे..या खुद इंसाफ के लिए खड़े हो जाए। इसमें माँ अपनी बेटी के इंसाफ के लिए खुद खड़ी होकर कमर कस के मैदान पकड़ती है। फ़िल्म में डिटेक्टिव ड़ी.के.(नवाज) से इनकी भेंट होती है और नवाज फ़िल्म की रफ्तार में चार चांद लगा देते हैं। एक दमदार ईमानदार पुलिसवाले के रुप में  फ्रांसिस (अक्षय खन्ना) ने भी उम्दा अभिनय दिखाया है,लेकिन आजकल अभिनय से दूर क्यों रहते हैं,समझ नहीं  आया।
फ़िल्म का अंत नहीं बता रहे हैं,क्योंकि उसके लिए फ़िल्म देखना चाहिए।
फ़िल्म में श्रीदेवी,नवाज, अक्षय,सेजल अली के साथ रहमान के संगीत ने न तो घड़ी देखने का वक्त दिया,और न ही कुर्सी छोड़ने का…।कुल मिलाकर शानदार विषय पर सुलझी हुई सटीक फ़िल्म है,जिसे देखना बनता है। इसके साथ ही
गेस्ट इन लंदन और  स्पाइडरमेन भी प्रदर्शित हुई है,तब भी ‘मॉम’ भारी है।

                                                                         #इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

ग़ज़ल

Sat Jul 8 , 2017
दर्द-ए-दिल हद से गुजरने को है, या ये कहिए कि ठहरने को है। बुलबुले  उठ  रहे  हैं पानी  में, कुछ तो दरिया से उभरने को है। चल किनारे पे खड़े  हो जाएँ, चाँद दरिया में उतरने  को है। कोई हलचल है न कोई जज़्बा, मेरा  अहसास भी मरने को है। […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।