सफर मीलों का……

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sanjay dr.
राही हूँ इस सफ़र का,
तो हिस्सा हूँ किसी क़ाफ़िले का,
मंज़िल मेरी मुझे कहीं नज़र न आई,
सफ़र तय कर आया मीलों का॥
दुनिया की भीड़ में शामिल हूँ,
अलग से मेरी कोई  पहचान नहीं,
ख़ुद से बेख़बर दौड़ रहा हूँ वो दौड़,
जिसका कोई अवसान नहीं॥
पैरों तले कुचले जाने का एक अदृश्य-सा, भय बैठा है मन में,
एक भेड़चाल चले जा रहा हूँ,
ख़ुद की इच्छाओं का
कोई भान नहीं॥
असफलता से डरता हूँ इसलिए,
हिस्सा बन गया  बुज़दिलों का,
मंज़िल मेरी मुझे कहीं नज़र न आई, सफ़र तय कर आया मीलों का॥
शामिल होने को इस अनजाने मेले में,
ख़ुद से ही फ़ासले हो गए हैं
पहचानने को अनजानी सूरतें,
बरस ख़ुद से ही मिले हो गए हैं॥
एक ख़्वाब जो हक़ीक़त
में कहीं था ही नहीं,
उसके पीछे भाग रहा हूँ।
मंज़िल जो है ही नहीं,
उसे पाने की चाह में
अपनों से ही गिले हैं॥
सुना न आह दिल की आवाज़ कभी,
हिस्सा बन गया हूँ झमेलों का।
मंज़िल मेरी मुझे कहीं नज़र न आई,
सफ़र तय कर आया मिलों का॥
                                                                           #डॉ.संजय यादव
परिचय : डॉ.संजय यादव राजस्थान के झुंझनूं जिले के पचेरी छोटी में रहते है। शिक्षा में अजमेर से एमबीबीएस किया है। वर्तमान में दिल्ली में कार्यरत हैं।

matruadmin

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