प्रो. गिरीश्वर मिश्र तथा प्रो. कृष्णकुमार गोस्वामी​ बने केन्द्रीय हिन्दी समिति के नए सदस्य

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भारत सरकार(गृह मंत्रालय,राजभाषा विभाग) के २३  जून २०१७ के संकल्प के अनुसार महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश्र्वर मिश्र तथाकेन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के  पूर्व प्राध्यापक-हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान व वयोवृद्ध हिन्दीसेवी कृष्णकुमार गोस्वामी प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित हिन्दी की सर्वोच्च समिति ‘केन्द्रीय हिन्दी समिति’ के सदस्य होंगे। समिति का कार्यकाल तीन वर्ष का है।      
प्रो.मिश्र (जन्म-१९५१) भारत के एक शिक्षाविद, मनोविज्ञानी,समाजविज्ञानी,लेखक,संपादक एवं महात्मा गान्धी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। गोरखपुर विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्नातक,पीएचडी प्राप्त करने के उपरांत  आपने उसी विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विषय के व्याख्याता के रूप में कर्मजीवन प्रारंभ किया।  प्रो॰  मिश्र हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में सक्रिय एवं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और इस संबंध में विभिन्न प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय समाचार पत्रों आदि में भी नियमित रुप से लिखते हैं।
ऐसे ही प्रो. कृष्णकुमार गोस्वामी (जन्म-१९४२) ने केन्द्रीय हिन्दी संस्थान,उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा हैदराबाद और दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य किया हैl विवेक केन्द्रीय हिन्दी  संस्थान में आप प्राध्यापक, विभागाध्यक्ष प्रभारी एवं क्षेत्रीय निदेशक पद पर कार्य करते हुए सेवानिवृत्त हुए हैंl आपने भारत में ही नहीं,विदेशों में नेपाल,संयुक्त राष्ट्र अमेरिका,यूनाइटेड अरब अमीरात (दुबई,शारजाह, अबूधाबी आदि),मारिशस,स्वीडन,डेनमार्क,दक्षिण अफ्रीका तथा फ्रांस आदि देशों के विश्वविद्यालयों तथा शैक्षिक संस्थाओं में हिन्दी संरचना,अनुवाद,भाषा- शिक्षण,भारतीय संस्कृति,भाषा प्रौद्योगिकी आदि विषयों पर व्याख्यान दिएहैं।  इन्होंने हिन्दी का अध्यापन  न केवल मातृभाषा के रूप में किया है,वरन द्वितीय भाषा और विदेशी भाषा के रूप में भी किया है। प्रो॰ मिश्र तथा प्रो. गोस्वामी द्वारा ‘वैश्विक हिन्दी सम्मेलन’ के वैश्विक समूह आदि से हिन्दी व भारतीय भाषाओं के प्रसार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया जाता रहा है।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।