लोगों के सभी फ़लसफ़े झुठला तो गए हम,
दिल जैसे भी समझा,चलो समझा तो गए हम।
मायूस भला क्यों हैं ये दुनिया के मनाज़िर,
अब आँखों में बीनाई लिए आ तो गए हम।
किस बात पे रूठे दरो दीवार मकाँ हैं,
कुछ देर से आए हैं,मगर आ तो गए हम।
खुद राख हुए सुब्ह तलक सच है ये,लेकिन,
ऐ रात!तिरे जिस्म को पिघला तो गए हम।
रोए,हंसे,उजड़े,बसे,बिछड़े भी मिले भी,
दिल सारे तमाशे तुझे दिखला तो गए हम।
क्यों हाशिए पर आज भी रखती है कहानी,
किरदार निभाने का हुनर पा तो गए हम।
अब बढ़ के ज़रा ढूंढ लें,मंज़िल के निशाँ भी,
उकताए हुए रास्ते बहला तो गए हम।
साबुन की तरह ख़ुद को गलाना पड़ा बेशक,
पर लफ़्ज़े-मुहब्बत! तुझे चमका तो गए हम।
#इमरान बदायूंनी
परिचय : इमरान बदायूंनी को ग़ज़लें लिखने का शौक है। आपकी आयु २६ वर्ष है,तथा जन्म स्थान ग्राम-कलौरा (जिला-बदायूं,उत्तरप्रदेश)है। वर्तमान में हरिद्वार में रह रहे हैं। अभियांत्रिकी में स्नातक की शिक्षा प्राप्त इमरान बदायूंनी भेल में सहायक अभियंत्री हैं।