प्रीत के पाहुन

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ramnarayan
क्यों हुए आतुर हमारी
नापने गहराई मन की,
क्यों छुआ है घाव मेरा
जागती है पीर तन की।
चाँदनी भी चुभ रही है
जो जगाती याद उनकी,
कोई चुनरी तान दे अब
तारकों की और तम कीलll
सूझता न पथ कोई भी
गर्दिशों की धुन्ध इसमें,
फूल हैं न पात है अब
इस चमन की अंजुमन में।
ये कदम भी आज अकड़े
वे नहीं हैं जब सफर में,
डूबता अभिसार गहरी
क्षोभ की नीरव निशा मेंll
दीप की लौ-सी किरण भर
रोशनी गलती रही,
झरझराते अश्रु कण ले
प्यास ही जगती रही।
आस के नभ में विचरते
स्वांस के पंछी रुपहले,
प्रीत के पाहुन पधारो
प्राण के जाने से पहलेll
                                                                                  #रामनारायण सोनी
परिचय : इन्दौर निवासी रामनारायण सोनी (सेनि. अधीक्षण यंत्री)पेशे से विद्युत यंत्री हैं और काव्य का शौक रखते हैंl आपका साहित्य से नया रिश्ता है,तब भी दो पुस्तकें(पिंजर प्रेम प्रकासिया और जीवन संजीवनी) प्रकाशित हो चुकी हैंl आप लेखन में सहज भावनाओं को शब्दों में ढालने का प्रयास करते हुए रचना रचते हैंl 

matruadmin

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