दिलको कहना है

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मोहब्बत भी क्या बला होती है।
जब किसी से होती है तो सकून
दिल का चैंन छीन लेती है और।
आँखों और ओठो से पिलाती है।।

दिलमें एक अजीब सी कंपन
और सारी रात जगाती है।
न खुद सोती है और न सोने देती
अपनी सांसो को दिलसे मिलती है।
और लेकर बाहो में हमें जन्नत की
सेर पूरी रात को कराती है।।

गुलाब के फूल की तरह हो तुम।
कमल की तरह खिलती हो तुम।
पास जब रहते हो तो महकते हो।
हंसती हो जब तो कयामत लाती हो।
और मोहब्बत की ज्योत जलाती हो।।

अब आँखों की जगह
कुछ जुवा आ बोलो
हाल ए दिल का राज
अब तो खोलो।।

मेरा दिल ही तो लिखवा रहा है।
हाल ए दिल का बता रहा है।
पर अब तो तुमको ही कहना है।
दिलकी बात दिलसे कहना है।।

दिल की बातो पर कुछ तो
तुम अपना इजहार करो।
दिलके अंदर यदि प्यार है तो
हमसे कहने का साहस करो।।

कितना प्यार किया मैंने तुमसे
तब से लेकर अब तक।
पर ये सब बाते अब तो
इतिहास के पन्नो में जीवित रहेंगी।।

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन “बीना” मुंबई

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