अनाचार

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कटघड़े में करें खड़ा,
लगा झूठे आरोप
जिसे जब बदनाम करें,
कौन सकेगा रोक।
छुपाना है गर तुम्हें,
अपने भौतिक भोग
बाबाओं का वेश धर,
करें नए प्रयोग।
वैधानिक तरीकों से,
करें जो गलत काम
बच जाते कानून से,
नेताओं के नाम।
हीरोइन बन ढंक गए,
सभी अनैतिक काम
गलतियां खामोश हुई,
देखकर बड़ा नाम।
व्हाट्सअप फ़ेसबुक में,
समय गंवाते छात्र
वक्त का सदुपयोग हो,
ऐसा पढ़ाएं पाठ।
अब अस्मिता की सुरक्षा,
बनी बड़ी विकराल
गली चोराहों पर अब,
फिरें हवस के लाल।
इंद्रियों को साध सके,
उसको साधु जान
माया में जो लिप्त हो,
उसे असाधु मान।
रोजगार के नाम पर,
बनती हैं सरकार
सत्ता पा सब भूल गए,
कितने बेरोजगार।
नैतिकता अब मर रही,
बढ़ गया अनाचार
कामी क्रोधी पनपते,
हुआ लुप्त संस्कार।
—–#संतोष नेमा

परिचय : लेखन के क्षेत्र में सन्तोष कुमार नेमा ‘संतोष’ जबलपुर से ताल्लुक रखते हैं। आपका जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के आदेगांव ग्राम में 1961 में हुआ है। आपके पिता देवीचरण नेमा(स्व.) ने माता जी पर कई भजन लिखें हैं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है।1982 से डाक विभाग में सेवारत होकर आप प्रांतीय स्तर की ‘यूनियन वार्ता’ बुलेटिन का लगातार संपादन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भी प्रांतीय सचिव चुने जाने पर छत्तीसगढ़ पोस्ट का भी संपादन लगातार किया है। राष्ट्रीय स्तर पर लगातार पदों पर आसीन रहे हैं।आपकी रचनाएँ स्थानीय समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपती रही हैं। वर्त्तमान में पत्रिका के एक्सपोज कालम में लगातार प्रकाशन जारी है। आपको गुंजन कला सदन (जबलपुर) द्वारा काव्य प्रकाश अलंकरण से सम्मान्नित किया जा चुका है। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में भी आप सक्रिय हैं।आपको कविताएं,व्यंग्य तथा ग़ज़ल आदि लिखने में काफी रुचि है। आप ब्लॉग भी लिखते हैं। शीघ्र ही आपका पहला काब्य संग्रह प्रकाशित होने जा रहा है।

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