कोरोना काल या काल है कोरोना …??

0 0
Read Time2 Minute, 31 Second
tarkesh ojha
tarkesh ojha

ये कोरोना काल है या दुनिया के लिए काल है कोरोना ?? हाल में कानपुर जाने का कार्यक्रम रद किया तो मन में सहज ही यह सवाल उठा । लेखकों के एक सम्मेलन में शामिल होने का अवसर पाकर मैं काफी खुश था । सोचा कानपुर से लखनऊ होते हुए गांव जाऊंगा और अपनों से मिल – मिला कर पटना होते हुए शहर लौटूंगा । काफी कोशिश के बाद रिजर्वेशन भी कन्फर्म हो चुका था । लेकिन तभी कोरोना के बढ़ते मामलों ने मेरी चिंता बढ़ा दी । रेलवे टाउन का छोकरा होकर भी कोरोना काल में ट्रेन में सफर के जोखिम से परेशान हो उठा । मेरा मानना है कि स्टील और पुरुलिया एक्सप्रेस जैसी ट्रेन में डेली पैसेंजरी का अनुभव रखने वाला कोई भी इंसान हर परिस्थिति में रेल यात्रा में अपने आप सक्षम हो जाता है । करीब छह महीने तक मैने भी इन ट्रेनों से डेली पैसेंजरी की है। इसके बाद भी संभावित यात्रा को ले मेरी घबराहट कम नहीं हुई । क्योंकि मीडिया रिपोर्ट से पता लगा कि फिर लॉक डाउन की आशंका से प्रवासी मजदूरों में भगदड़ की स्थिति है । रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में भारी भीड़ उमड़ने लगी है। इस हालत में मेरी आंखों के सामने करीब दो साल पहले की एक रेल यात्रा का दृश्य घूमने लगा । जिसमें कन्फर्म टिकट होते हुए भी मैने थ्री टायर में महाराष्ट्र के वर्धा से खड़गपुर तक का सफर नारकीय परिस्थितियों में तय किया था । लिहाजा कोरोना को काल मानते हुए मैने अपना रिजर्वेशन रद करा दिया । कन्फर्म टिकट रद कराने पर आइआरसीटीसी इतनी रकम काटती है , पहली बार पता चला । सचमुच सोचता हूं …. ये कोरोना काल है या काल है कोरोना …।

तारकेश कुमार ओझा

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

matruadmin

Next Post

मोहब्बत का नशा

Sat Apr 10 , 2021
मोहब्बत का नशा बड़ा अजीब सा होता है। जब मोहब्बत पास हो तो दिल मोहब्बत से घबराता है। और दूर हो तो मिलने को बार बार बुलाता है। और दिलों में एक आग सी जलाये रखता हैं।। दूर होकर भी दिल के पास होने का एहसास हो। मेरे दिलकी तुम […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।