प्रेरणा परिवार की काव्य गोष्ठी

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हिसार

.नवोदित लेखकों को मंच प्रदान कराने के उद्देश्य से पिछले इक्कीस साल से चलाए जा रहे मासिक काव्य गोष्ठी कार्यक्रम के अन्तर्गत नगर की प्रमुख साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था प्रेरणा परिवार की मासिक काव्य गोष्ठी स्थानीय टाऊन पार्क में संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ की अध्यक्षता में आयोजित की गई। मन्च संचालन जयभगवान लाडवाल ने किया ।
राजेन्द्र अग्रवाल के भाव ऐसे थे,
तकलीफ ये नहीं कि प्यार हो गया।
दर्द ये है कि अब भुलाया नहीं जा रहा।
ऋषि कुमार सक्सेना ने अपनी रचना ऐसे सुनाई,
जुबां खामोश आंखों में नमी क्यों,
यही पहचान है औरत की क्यों,
जख्म पर मरहम लगा हो तो दर्द क्यों,
पर दिल है तो प्यार से मरहूम क्यों।
जय भगवान लाडवाल की रचना कुछ ऐसी थी,
पानी अब व्यापार हो गया हो गए ऊंचे दाम गर्मी में बिकता गाना शहर हो या गाम।
प्याऊ को सब भूल गए चली नई कहानी कैंपर वाला चाहिए सब को ठंडा पानी
संस्था निदेशक शुभकरण गॉड ने अपनी रचना कुछ ऐसे सुनाई,
इक्की,दुग्गी,पंजी पाने की चाहत में करोड़ों पाकर अरबों पालिए पता ही नहीं चला।
वक्त कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला।।
जगदीश गर्ग,सुभाष चंद्र, मेघराज, दीपक कुमार ने भी अपनी रचना सुनाई।

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