समग्र सेवा संस्थान सिरसा द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर के पुस्तक लोकार्पण एवम् साहित्य विमर्श में हुआ 14 पुस्तकों का लोकार्पण और साहित्यकारों का हुआ सम्मान ।

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हिसार |

कोरोना महामारी के संकट दौर के चलते लगभग एक वर्ष बाद समग्र सेवा संस्थान, सिरसा द्वारा श्री युवक साहित्य सदन, सिरसा में 28 फ़रवरी 2021 को आयोजित साहित्य विमर्श कार्यक्रम में चौदह पुस्तकों का लोकार्पण, चर्चा-परिचर्चा, समीक्षा प्रस्तुति, मान-सम्मान, गीत-संगीत आदि का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि समाजसेवी, योग साधना एवं अध्यात्म के जानकार रमेश साहूवाला एडवोकेट थे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रतिष्ठित साहित्कार प्रो० रूप देवगुण व भिवानी से पधारे प्रतिष्ठित एवं पुरस्कृत साहित्यकार आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट ने संयुक्त रूप से की। विशिष्ट अतिथि के रूप में मुजफ्फरपुर, बिहार से प्रख्यात साहित्यकार डॉ० सूरज मृदुल, सिरसा के आलोचक एवम् साहित्यकार ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’, प्रमुख समाजसेवी एवं साहित्यविज्ञ प्रो० संजीव कालड़ा तथा भिवानी की साहित्यकार एवम् आनंद कला मंच प्रकाशन की मालिक सुनीता आनन्द ने शिरकत की।
कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वन्दना तथा आयोजक संस्था के अध्यक्ष डॉ० राजकुमार निजात के स्वागत भाषण एवम् अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्वलन से हुआ। प्रात: सवा दस बजे से बाद दोपहर साढ़े तीन बजे तक चले इस कार्यक्रम में पुस्तक लोकार्पण श्रृंखला के तहत आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट द्वारा रचित शोधपरक कृति (उदयभानु हंस स्मृति ग्रंथ) ‘उड़ गया हंस अकेला’ और ‘डॉ० सूरज मृदुल का व्यक्तित्व एवं कृतित्व’, सुनीता आनन्द द्वारा सृजित आलेख-संग्रह ‘मीडिया, शिक्षा और समाज’, डॉ० सूरज मृदुल द्वारा लिखित जीवनी आलेख संग्रह ‘सरोकार’, ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’ की काव्य-कृति ‘अनुभव के मोती’, नवोदित कवि राकेश कुमार जैन बन्धु कृत काव्य-संग्रह ‘डूबी सच की पतवार’ (साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित) तथा अकादमी के सौजन्य से ही प्रकाशित बलबीर वर्मा की पुस्तक ‘कैसे भूलूं तेरा अहसास’ पुस्तकोंं का लोकार्पण हुआ। कृति विमर्श में सिरसा के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० राजकुमार निजात की चार पुस्तकों ‘चित्त, चरित्र और चिंतन’ (लघुकथा), ‘अम्मा फिर नहीं लौटी’ (लघुकथा), ‘साये अपने-अपने’ (उपन्यास) का दूसरा संस्करण तथा कविता-संग्रह ‘पीले गुलाबों वाला घर’, राकेश जैन के कविता-संग्रह ‘पहला प्रयास’, बलवीर वर्मा के कविता-संग्रह ‘ढाई आखर’ तथा उर्मिल शर्मा की काव्य-कृति ‘बहुएं क्यों जलती हैं? की समीक्षा क्रमश: ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’, प्रो० रूप देवगुण, जनकराज शर्मा, डॉ० शील कौशिक, दिलबाग सिंह विर्क, प्रवीण पारीक ‘अंशु’, मेजर शक्तिराज कौशिक आदि विद्वानों द्वारा की गई। इस अवसर पर आनन्द कला मंच भिवानी की ओर से उपन्यासकार लाजपत राय गर्ग, साहित्य अकादमी से सम्मानित क्रमश: प्रो० रूप देवगुण, डॉ० राजकुमार निजात, डॉ० शील कौशिक,डॉ० सूरज मृदुल व जनकराज शर्मा सहित 12 साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। इसके अलावा विवेक कुमार शर्मा को उनकी योग के प्रति दी गई सेवाओं के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया। तदुपरान्त प्रमुख समाजसेवी एवं कवि माणकचन्द जैन, बेबी हेजल, बेबी भूमिका व चिमन भारतीय द्वारा गीत-ग़ज़ल प्रस्तुत किए गए। मंच संचालन अध्यापक एवं साहित्यकार जनकराज शर्मा द्वारा बखूबी किया गया। कार्यक्रम में डॉ० आरती बांसल, रविराज सिंह, धु्रव कुमार, सुरेश गौतम, डॉ० मनफूल वर्मा, मंगल चन्द सेठी, मदन वर्मा, रामसिंह यादव, भूपसिंह गहलोत, गंगाधर वर्मा, वैद्य नरोत्तम दाधीच, चन्द्रपाल योगी, प्रेम शर्मा, विवेक कुमार शर्मा, खरैत सोनी, मुन्ना गुप्ता, हरीश सेठी ‘झिलमिल’, बलबीर प्रसाद, सुरेन्द्र गंगवान, शांतिस्वरूप, ओंकारमल, प्रो० सुदेश कम्बोज, रजनीश कुमार, महेन्द्र बोस पंकज, अमर सिंह घोटिया, जयप्रकाश, सुभाष शर्मा, पवन बांसल, सूर्य शर्मा, विनोद बागड़ी, विशाल वत्स, महेन्द्र सिंह नागी, आर्टिस्ट करन लढ़ा, नीरज, निर्मल कुमार, सतीश जेबीटी, सुरेश चन्द्र, सतपाल छापरवाल सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। आनंद प्रकाश आर्टिस्ट ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि जिस व्यक्ति को लोग साहित्यकार कहते अथवा समझते हैं वह व्यक्ति साहित्यकार होने से पहले एक वैज्ञानिक है और वैज्ञानिक सोच का हर व्यक्ति साहित्यकार बन सकता है. अपनी बात को स्पष्ट करते हुए उन्होने कहा कि विज्ञान का एक नियम है की क्रिया तथा प्रतिक्रिया समान तथा विपरीत दिशा में होती है और उसी वक्त होती है जब कोई क्रिया होती है, अत: साहित्य भी एक उस संवेदनशील मानवमन की प्रतिक्रिया है, जो सामाजिक एवम् राष्ट्रीय परिस्थितियों को न केवल अपने बल्कि प्रत्येक सामाजिक प्राणी के अनुकूल बनाने का प्रयास करता है,और यही कारण है कि पठनीय एवम् संग्रहणीय साहित्य साहित्यकार के रूप में किसी एक व्यक्ति की अभिव्यक्ति होकर भी अन्य साहित्यकारों और पाठकों को अपना सा लगता हैै।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।