लेकिन तुम ना आए…….

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सावन बीता भादो बीता
लेकिन तुम ना आए
पतझड़ बीता बसंत आया
फिर भी तुम ना आए
आते आते ना जाने तुम को
कितने बरस लग जाए
और तुम्हारे इंतजार में
हम ही इंतजार बन जाए
कभी-कभी लगता है
जैसे कोई नहीं तुम मेरे
लेकिन कभी-कभी लगता है
कि तुम हो दिल की धड़कन मेरे
दिल में तुम्हें बिठाकर हमने
अपनी पूजा रचाई
और तुम्हारे इंतजार में
दीपक भी ना बुझा पाए
और न जाने तुम कब तक
मुझको यूं ही तड़पाओ
मुझे तड़पाते तड़पाते
तुम भी यूं ही तड़प बन जाओ
ओ मेरे सनम,
एक बार जरा तू आ जाए
मेरे बीते पतझड़ को
तूं फिर सावन कर जाए ।

स्मिता जैन

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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