लेडी क्लोरीन की आत्मकथा (विज्ञान कथा)

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नमस्ते !
मेरा शुभ नाम क्लोरीन है। मुझे प्रयोगशाला में Cl2 के नाम से बुलाते हैं । मेरे पिताजी का नाम HCl है तथा मेरी माता जी का नाम MnO2 है।

     मेरा जन्म 1774 ईस्वी में हुआ था। मेरे जन्म के बाद मिस्टर शीले ने मेरी देखभाल की। जब मेरी उम्र 14 वर्ष की थी तब मेरा विवाह dirty stacked lime नामक उम्रदार व्यक्ति के साथ कर दिया गया। उस समय बाल विवाह की प्रथा थी न इसलिए.....। 36 वर्ष के बाद सन 1810 ईस्वी में मिस्टर डेवी ने मेरे गुणों को देखकर मुझे तत्व के रूप में स्वीकार किया। हमारा दांपत्य जीवन प्रेम पूर्वक बीत रहा था। विवाह के 3 वर्ष पश्चात् मैंने पुत्र को जन्म दिया। प्यार से उसका नाम ब्लीचिंग पाउडर रखा गया। यह बड़ा ही होनहार और परिश्रमी है। मरीजों की सेवा करना और कीटाणुओं को नष्ट करना उसका काम है। आज भी डॉक्टर लोग उसका बड़ा सम्मान करते हैं।

मेरा स्वभाव- मेरा वजन हवा से ढाई गुना भारी है और मैं स्वभाव से अत्यधिक जहरीली हूं। जब मैं अपने छोटे भाई से मिलती हूं तो लोग हमें ‘लॉग वाटर क्लोरीन’ कह कर पुकारते हैं। क्रोध आने पर मैं गला घोट देती हूं।

जीवन की सर्वश्रेष्ठ घटना- यह 1847 ई. की एक मजेदार घटना है। मेरी इस कहानी के नायक हैं मिस्टर सिम्पसन…। एक बार मैं हरी- पीली साड़ी पहन कर अपनी प्यारी सहेली मेथेन (CH4) के घर जा रही थी ‌। रास्ते में मनचले मिस्टर सिंपसन एवं उनके मित्र मुझसे छेड़खानी करने लगे। तभी मेरी सहेली आ गई । हम दोनों ने गुस्से में आकर क्लोरोफॉर्म (CHCl3) का निर्माण किया और मिस्टर सिम्पसन एवं उनके मित्रों को बेहोश कर दिया। वह अपनी गलती की सजा कई घण्टे अचेत अवस्था में रहकर भुगते। अब मुझे और मेरी सहेली को लोग गलत नजर से नहीं देखते हैं। हमारे क्रोध की सीमा व्यक्ति की अंतिम सांस तक है।

वेशभूषा- मुझे हरी- पीली साड़ी बहुत पसंद है। ग्रीक में क्लोरयस का अर्थ हरा- पीला है। इसलिए लोग मुझे क्लोरीन कहते हैं । मेरी सुगंध ऐसी है जिसे सूंघकर युवक सारी दुनिया को कुछ पल के लिए भूल जाते हैं।

उपयोगिता- मेरे पिता HCl बहुत ही भयानक हैं। जब वह मिस्टर कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) से मिल जाते हैं तब वह डर के मारे सांस छोड़ने लगता है।

मेरी उपयोग निम्नलिखित हैं-

  1. मैं आत्मा का संबंध परमात्मा से जोड़ती हूं।
  2. अस्पताल में मरीजों का घाव साफ करती हूं और बेटा उनकी हिफाजत करता है।
  3. जब मेरा प्रयोग युद्ध में होता है तो समानता का भाव प्रकट करती हूं और हार – जीत का निर्णय देती हूं। आशा करती हूं कि मेरे स्वभाव के बारे में जानकर आपको अच्छा लगा होगा।
    मेरी कमियों से सावधान रहें….।
    • प्रीति चौरसिया ‘राधा’
      डीएलएड.,
      देवरिया, उत्तर प्रदेश।

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