स्वप्न जिस भाषा में देखो उसी को प्रचारित करो – आचार्य विद्यासागर जी

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 गुरुदेव के करकमलों से ‘मातृभाषा-भाग तीन’ विमोचित

इंदौर। हिन्दी भाषा हमारे संस्कारों की जननी है, भाषा को निर्दोष रखें, इसी में राष्ट्र की प्रगति निहित है। उक्त विचार संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज द्वारा मातृभाषा उन्नयन संस्थान से जुड़े रचनाकारों के हिन्दी भाषा को प्रचारित करने वाली कविताओं के संग्रह ‘मातृभाषा.कॉम-भाग तीन’ के विमोचन के दौरान कहे गए। पुस्तक संस्मय प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुई है एवं इसका सम्पादन मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ द्वारा किया गया है।
ज्ञात हो कि शरद पूर्णिमा को आचार्य श्री का अवतरण दिवस भी है।
इस अवसर पर संयम चर्या व आध्यात्म सरोवर के राजहंस संत शिरोमणी राष्ट्र संत आचार्य विद्यासागर जी द्वारा कहा गया कि ‘जिस भाषा में आप स्वप्न देखते हैं, उसी भाषा में कार्य करें, उसे प्रचारित करें, हिन्दी में अधिकाधिक लिखें व भाषा को अंग्रेज़ी मिश्रित न बनाएँ। हिन्दी का प्रचार करें।’
आचार्य श्री ने मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को आशीर्वाद भी दिया।
संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने जैन कवि संगम के बारे में आचार्य श्री को विस्तार से बताया तथा आचार्य श्री के अवतरण दिवस निमित्त लिखे गीत, जिसमें देश के विभिन्न राज्य, नगर व स्थान के कवियों ने अपनी भूमिका निभाई, उसकी भी चर्चा की। विमोचन के अवसर पर ब्रह्मचारी सुनील भैया सहित संस्थान के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नितेश गुप्ता, रोहित त्रिवेदी आदि उपस्थित रहे।
मातृभाषा-भाग तीन में डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’, कवि मुकेश मोलवा, शिखा जैन, भावना शर्मा, गणतंत्र ओजस्वी, नरेंद्रपाल जैन, डॉ. नीना जोशी, कवि मुकेश मनमौजी, कृष्ण कुमार सिसौदिया, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) से डॉ. भावना कुँवर एवं प्रगीत कुँवर, निकिता शर्मा, विजयलक्ष्मी भट्ट शर्मा, कुसुमलता ‘कुसुम’, डॉ. मनीला कुमारी, नीना महाजन, स्नेहलता ‘नीर’, सीमा गर्ग मंजरी, नवनीता कटकवार, सुभाष सिंघई जैन, ओमप्रकाश, मोनिका शर्मा ‘मन’, प्रतिभा पंचोली, रमेशचंद्र शर्मा, तरुणा पुण्डीर ‘तरुनिल’, ऋतु ऊषा राय, डॉ. अलका रानी अग्रवाल, अनिता मंदिलवार, विनीता सरस्वती, मुक्ता मिश्रा, वूमन्स प्रेस क्लब की अध्यक्ष शीतल रॉय, सुरेश शर्मा, डॉ. विजेता साव, कवयित्री सरिता सिंघई ‘कोहिनूर’, डॉ. इंद्रजीत सुकुमार, कुमार संदीप, मोनिका जैन ‘साव’, सीमा निगम, ओजेन्द्र तिवारी, रश्मिलता मिश्रा, नूतन गर्ग, नीलम नील, अलका शर्मा, वरुण चतुर्वेदी, डॉ. ओरीना अब्बासी, आस्था जैन, सरिता गुप्ता, प्रो. शरद नारायण खरे, निशा नंदनी भारतीय, किरण मोर, भावना गौड़, डॉ. संध्या सिलावट, डॉ. अनिल जैन उपहार,चंदन अधिकारी, नेहा नाहटा एवं सन्दीप सृजन की कविताएँ सम्मिलित हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।