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एक बार तो सोचो जरा सोचो,
क्या आजादी हमे मिल पाई है
जो बलिदान दिया देशभक्तो ने
क्या उसकी कीमत मिल पाई है
जो आजादी चाही थी भारत ने
क्या वही आजादी मिल पाई है
लाख तरक्की कर ली फिर भी
क्या चरित्र की फैक्ट्री लग पाई है
मां,बहन तक सुरक्षित नही
क्या यही आजादी पाई है
युवा भटक रहा रोजगार को
भूखे किसान ने फांसी खाई है
मजदूर मजदूरी से बेदखल हो गए
क्या यही उपलब्धि पाई है
अमीर गरीब की खाई बढ़ी
यह कैसी आजादी आई है।
#श्रीगोपाल नारसन
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