रिसता घाव

0 0
Read Time8 Minute, 35 Second
cropped-cropped-finaltry002-1.png
मम्मी! आप नीचे गिर जाएंगी, क्या मैं यह समान आपको उतार कर दे सकती हूँ?
पता नहीं अचानक आई आवाज़ से या ऊपर रखे कार्टन को ढंग से न पकड़ पाने की वजह से, मेरा सन्तुलन बिगड़ गया और ऊपर से ही भरभरा कर मैं जमीन पर गिरने ही वाली थी कि किसी के हाथों के सहारे से मैं सीधे मुंह के बल न  गिरकर  पीठ के बल धीमी गति से गिरी जिससे मुझे ज्यादा चोट तो नहीं आई पर भय व थकान के कारण मैं बेहोश हो गई थी और जब आंख खुली तो विपिन और बच्चे घेरकर बैठे थे।
मैंने कमरे में चारों तरफ नज़र घुमाई लेकिन ‘वह’ कहीं नजर नहीं आई ।
मेरा मन आशंकित हो उठा कि कहीं उसको भी तो कहीं चोट नहीं लगी है ।
फिर दिमाग ने कहा ,ऊँह, मुझे क्या फर्क पड़ता है चाहे उसके साथ कुछ भी हो ।
मेरी बेटी, जिसकी शादी में अभी केवल १५ दिन शेष थे ,बोली ,मम्मा आप थोड़ी देर आराम कर लीजिए । घर की व्यवस्था मैं और पापा मिलकर देख लेंगे।
बेटे ने भी बहन की हां में हां मिलाते हुए मेरे कमरे की बत्तीबुझा दी और दरवाजे को उढ़काते हुए बाहर चले गए ।
मैं आंख बंद करके लेटी हुई थी पर मन का  एक कोना बहुत बेचैन था ।जितना उसे पकड़ कर सन्तुलन में लाने की कोशिश करती उतने ही वेग से वह १६ साल पीछे उड़कर चला गया ।
इस बार विपिन को घर आए हुए ४ महीने हो जाएंगे। आजकल फ़ोन भी बहुत कम करने लगे हैं ।
१० वर्षीय छवि और ७ वर्षीय वेदांत बहुत बार पापा के न आने से अनमने हो जाते हैं ।
बूढ़े सास ससुर भी कई बार पूछ चुके थे कि बहु विपिन का कोई फ़ोन आया  क्या?
उदासी भरे न को सुनकर दोनों मायूसी में ही गर्दन झुकाकर बैठे रहते ।
जब १५ दिन बात विपिन घर आए तो ऐसा लग रहा था कि दिल और दिमाग से वह बहुत ही थके हुए हैं।
घर में कोई उनसे कुछ पूछता ,उतने का ही जवाब देते और अपने साथ लाई फाइलों में ही सिर झुकाए बैठे रहते ।
विपिन और मेरी शादी १३ वर्ष पहले हुई थी और हम दोनों एक दूसरे का साथ पाकर इतने खुश थे कि लगता था ,जैसे दोनों ही एक दूसरे के लिए बने हों।हमें सारे जहाँ की खुशियां मिल गई थीं।
मेरी शादी एम ए करते ही एक अच्छी कंपनी में नौकरी करने वाले विपिन के साथ की गई थी ।
 शादी के १० साल पंख लगा कर कब उड़ गए पता भी नहीं चला ।इसी अवधि में दो बच्चे भी हो गए थे पर तभी अचानक विपिन को दूसरे शहर में पदोन्नति करके भेज दिया गया।
चाह कर भी मैं उनके साथ नहीं जा पाई क्योंकि यहां पर बूढ़े होते माता – पिता की जिम्मेदारी और बच्चों के स्कूल भी  जमे हुए स्कूल थे।सर्वसम्मति से यही निर्णय लिया गया कि हर महीने विपिन ही घर आ जाया करेंगे और  छुट्टियों में कभी कभार हम लोग वहाँ चले जाएंगे और जल्दी ही विपिन अपना स्थानांतरण वापिस यहीं करवा लेंगे ।
साल भर बाद ही विपिन से स्थानांतरण के लिए अर्जी लगा दी थी ।
सब कुछ यथावत तरीके से ही चलता रहता यदि विपिन की मुलाकात शुभ्रा से न होती तो।
वहां पर काम करते हुए विपिन को साल भर भी नहीं हुआ था कि  उसकी मुलाकात शुभ्रा से हुई जो   उसी के ऑफिस में स्थान्तरित होकर आई थी ।देखने में वह बेहद ही सुंदर थी ।
मध्यम आकार के बाल जिनको करीने से कटवा रखे थे जिन्हें वह खुले ही रखती थी ।
अनार के दानों जैसी दंतपंक्ति ,जब वह हंसती तो ऐसा लगता मानो फूल झड़ रहे हैं। साड़ी या सूट जो भी पहनती उसे इतने सलीके से पहनती थी कि देखकर लगता था कि यह केवल उसी के लिए ही बनाया गया हो ।
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि भगवान ने उसे फुर्सत से गढ़ा होगा और लक्ष्मी व सरस्वती दोनों की कृपा भी बरसती थी।
कोई भी बड़ी से बड़ी समस्या हो उसका हल भी वह हंसते हंसते चुटकियों में हल कर देती थी।
विपिन के दिलोदिमाग में आजकल उसने अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया था ।
विपिन मुझे और शुभ्रा को दो तराजू में रख कर तोलने लगे तो मेरा पलड़ा हल्का ही रहता क्योंकि मैं साधारण घरेलू नारी थी जिसकी दुनिया केवल पति ,बच्चों और सास ससुर में ही सिमटी हुई होती ।
जब भी हम लोग मिलते तो इतने दिनों के बचे हुए बाहर के काम याद दिला देती ,बच्चों की कोई फरमाइश बता देती याफिर मां पिताजी की दवाई व कोई चेकअप की ज़रूरत गिना देती।
जबकि दूसरी तरफ ,शुभ्रा मिलती तो जीवन में केवल दूधिया रोशनी से नहाई हुई उन्मक्त हंसी बिखेरती सतरंगी  सी खुशियां बिखेर देती थी।
इसी तुलना में मेरी हार हो गई।
दोनों का साथ साथ कॉफी पीना और देर रात तक साथ टहलते हुए बहुत दूर तक चले जाना ,उनकी नियमित दिनचर्या में शामिल हो गया था।
एक समय ऐसा आया कि विपिन और शुभ्रा दोनों ही एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे और यह बेकरारी उनसे वह सब कुछ करवा बैठी जो दोनों के लिए ही अंधेरे रास्ते में ढ़केलने वाला हो सकता था।
थोड़े दिन बाद विपिन आए और २ दिन रुककर वापिस चले गए थे ।वहां जाते ही उन्हें शुभ्रा ने बताया कि वह मां बनने वाली है ।
सुनकर विपिन को  पैरों तले से जमीन खिसकती हुई नजर आई ।
उसने शुभ्रा से कहा कि हम यह बच्चा गिरा देते हैं लेकिन शुभ्रा किसी भी शर्त पर अपने बच्चे को गिराने को तैयार नहीं हुई ।
७ महीने बाद शुभ्रा ने स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणों का हवाला देते हुए लंबे अवकाश के लिए आवेदन कर दिया था ,पर ऑफिस में कानाफूसी शुरू हो चुकी थी।
नियत समय पर शुभ्रा ने एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया।
धीरे धीरे यह बात आग की तरह पूरे ऑफिस में फैल गई।
लोग कानाफूसी करते पर सामने कोई कुछ नहीं कहता।
इस नई जिम्मेदारी ने विपिन का घर जाना कम कर दिया ।
इसी दौरान एक बार मेरे ससुर जी ने विपिन के ऑफिसफ़ोन कर दिया कि ५ दिन से विपिन का नंबर बन्द आ रहा है । हमें उसकी बहुत चिंता हो रही है ।
कई लोग होते हैं जो आग में घी डालने की प्रतीक्षा में ही बैठे रहते हैं उसी श्रेणी के मिस्टर कमल सहाय थे जिनकी नज़रे हमेशा शुभ्रा पर टिकी रहती थीं और जब उनके लिए वह अप्राप्य हो गई तो इस मौके को  वे छोड़ना नहीं चाहते थे।
अपनी भाषा में बनावटी नम्रता व सम्वेदना लाते हुए बोले ,” जी बात यह है कि आजकल विपिन जी के घर बेटी हुई है और वे उसी की देखभाल में व्यस्त हैं।
क्रमशः………….
#कुसुम पारिक

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

दर्पण 

Tue Jan 1 , 2019
दर्पण दिखाता है शक्लो सूरत,  सामने जैसी भी हो मूरत, सज धजकर सलीके से बैठो तो खूबसूरती दर्शाता है उबासियाँ, बेतरतीबियाँ, बदगुमानियाँ भी दर्शाता दर्पण जैसा हो प्रतिबिंब, वैसा ही नजर आता है , विषादयुक्त, हास्ययुक्त छवियाँ दर्शाता है दर्पण , बाहरी रूपरंग दर्शाने के साथ अन्तर्मन का भी साथी […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।