लॉक डाउन का आंखो देखा हाल

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सड़क सब सुनसान पड़ी है,
हर दरवाजे पर मौत खड़ी है।
हर इंसान अब परेशान है,
सबको अपनी अपनी पड़ी है।।

श्मशान में अब जगह नहीं है,
वहां पर भी लाईन लगी है।
कैसे जलाए इन सभी शवों को,
लकड़ी की भी कमी पड़ी है।।

अस्तपतालों में भीड़ लगी है,
मरीजों की लंबी लाईन लगी हैं।
बिस्तर भी नहीं है कोई खाली,
फर्शो पर लाशे नंगी पड़ी है।।

मंदिर मस्जिद भी बन्द पड़े हैं,
भगवान भी अंदर बन्द पड़े हैं।
ये कैसा उल्टा समय आया है,
दर्शन के लिए भगवान खड़े है।।

मयखानों में लंबी लाईन लगी हैं,
सबको नशा करने की पड़ी है।
यह पहली बार हमने देखा है,
औरतें भी लाईन में खड़ी है।।

काम धंधे भी सब बन्द पड़े हैं,
उद्योग धंधे भी सब बन्द पड़े हैं।
बेचारा मजदूर कितना परेशान है,
उसकी खाने के भी लाले पड़े हैं।।

रेले स्टेशनों पर बेकार खड़ी है,
यात्रियों से बिल्कुल खाली पड़ी है
कब चलेगा ये रेल का पहिया
सारी जनता जानने को खड़ी है।

न्यायलय भी खाली लडे हुए हैं,
न्यायधीश भी सोए पड़े हुए हैं।
जब से ऐसा हुआ सारे देश में,
सारे वकील भी रोए से खड़े है।।

सारे सिनेमा हाल बन्द पड़े हैं,
फिल्मी सितारे बेकार पड़े हैं।
कैसे होगा उनका अब गुजरा,
सोच में वे सब सारे पड़े हुए हैं।।

सरहदों पर फौजें तनी खड़ी है,
चीन और भारत में तनातनी है।
ये कैसा मुश्किल समय आया है,
जब चारो तरफ़ मुसीबत खड़ी है।

बताया लॉक डाउन का हाल मैंने
जो देखा है अपनी आंखो से मैंने।
इसमें में लेश मात्र झूठ नहीं है ,
इसमें कुछ न छिपाया है मैंने।।

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम

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