ऐसे भी कोई जाता है भला …!!

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tarkesh ojha
tarkesh ojha

उस रात शहर में अच्छी बारिश हुई थी . इसलिए सुबह हर तरफ इसका असर नजर आ रहा था . गोलबाजार ओवर ब्रिज से बंगला साइड की तरफ बढ़ते ही डी आर एम आफिस के बगल वाले मैदान में भारी भीड़ जमा थी . बारिश के पानी से मैदान का मोरम फैल कर लाल हो चुका था . मैदान के किनारे लाल रंग की एक शानदार वैन खड़ी थी , जिसे मैने जीवन में पहली बार देखा था . वैन को घेर कर कुछ लोग खड़े थे . कौतूहलवश मैने पास खड़ी एक घरेलू सी महिला से इसकी वजह पूछी . उसने चहकते हुए कहा … फिल्म की शूटिंग चल रही है …इसी लाल वैन में सुशांत सिंह राजपूत है … ! एक छोटे शहर के बड़ी तादाद में लोगों को भरोसा था कि शूटिंग के दौरान कभी न कभी तो बालीवुड सितारा वैन से बाहर निकलेगा , जो उनकी ग्लैमर की दुनिया में जगमगाने वाले स्टार की एक झलक पाने की हसरत पूरी कर देगा . मैं ख्यालों में डूबा आगे बढ़ गया . यह सोचते हुए कि हमारे देश में क्रिकेट और बालीवुड के प्रति लोगों में कितनी दीवानगी है . जिसके वशीभूत होकर घर की चारदीवारी में कैद रहने वाली एक घरेलू महिला भी एक अभिनेता की झलक पाने को घर की लच्छमण रेखा लांघ कर भीड़ का हिस्सा बनने से गुरेज नहीं करती . २००१ से २००४ तक मेरे शहर खड़गपुर में रह कर संघर्ष करने वाले प्रख्यात क्रिकेट खिलाड़ी महेन्द्र सिंह धौनी पर बन रही फिल्म की शूटिंग तो शहर में कई दिन पहले शुरू हो गई थी . मीडिया कर्मी होने से हमें उम्मीद थी कि शूटिंग शुरू होने पर हमें अवश्य औपचारिक न्यौता मिलेगा . लेकिन हुआ बिल्कुल उलटा . शूटिंग के दौरान कई मीडिया कर्मियों के फिल्म कंपनी के लोगों से बदसलूकी का शिकार होने से मैने प्रबल इच्छा के बावजूद शूटिंग देखने का इरादा त्याग दिया . शुरूआती दौर में एक रोज डी आर एम आफिस परिसर में शूटिंग होने से कवरेज हमारी मजबूरी हो गई .अनिच्छा से हम शूटिंग स्थल पर पहुंचे ही थे कि निर्माता कंपनी के मार्शल्स हमसे रू ब रू हुए . खुद को मीडिया कर्मी बताने पर मार्शल्स ने कहा कि शूटिंग के दौरान तस्वीर खींचने या कवरेज की मनाही है . वैसे शूटिंग पूरी होने के बाद हम प्रेस कांफ्रेंस करेंगे , वहां आपके हर सवाल का जवाब दिया जाएगा और जो भी तस्वीरें आप चाहेंगे , उपलब्ध करा दी जाएगी . हालांकि न ऐसा होना था और न हुआ . बहरहाल शूटिंग पूरी होकर फिल्म रिलीज भी हो गई . सुना फिल्म ने बंपर कमाई भी की , लेकिन इतने दिनों बाद अतीत का हिस्सा बन चुकी इस घटना का फिर से स्मरण अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की अचानक हुई मौत से हुआ . बेहद खुशहाल दिखने वाले एक अभिनेता की इस तरह असामयिक मौत ने सचमुच हिला कर रख दिया मौत को गले लगाने की वजह क्या रही होगी , यह तो पूरी जांच के बाद ही पता लग पाएगा . लेकिन इस घटना ने ग्लैमर की चकाचौंध भरी दुनिया के काले सच को भी लोगों के सामने रख दिया . शायद वो दुनिया वाकई ऐसी न हो जो बाहर से नजर आती है . वर्ना एक युवा अभिनेता यूं ही नहीं चला जाता , यूं अचानक , अनायास और चुपचाप ….!!

तारकेश कुमार ओझा

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।