
भाव सुरक्षा चाहती, बहिना रहे अधीर।
बदले गुरु आशीष दे, रहे सलामत बीर।।
(बीर~भाई)
त्याग मान मनुहार सें, सदा निभाती नेह।
पीहर मय ससुराल में, बहिना देह विदेह।।
एक बेस ले भेंट में, लख लख दे आशीष।
ऐसी होती है बहिन, नमन इन्हे नतशीश।।
(बेस~ पर्व या किसी भी अवसर पर बहिन को दिये जाने वाले एक जोड़ी वस्त्र ~ढूँढाड़ी भाषा में )
जैसी चाह चकोर की, सबकी चाहत भोर।
चाहत भाई खुश रहे, रहती बहिन विभोर।।
मातृ भूमि ज्यों चाहती, अमर तिरंगा शान।
सजग तिरंगा ध्वज रहे,बहिन भ्रात अरमान।
मंदिर मस्जिद देवरे, झुकते नाहक शीश।
इससे तो अच्छा भला, बहिना का आशीष।।
(देवरे~देवालय)
बहिनों से भगवान सा, नेह और विश्वास।
यही भाव मिलता रहे,जबतक तन में साँस।
शर्मा बाबू लाल ने, दोहा लिख कर सात।
बहिन बंधु संबंध में, कह दी मन की बात।।
नाम–बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः