ये बासट वाला हिंदुस्तान नहीं।

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मत ललकार चीन हमे तू,
ये बासट वाला हिंदुस्तान नहीं।
चमगादड़ खाने वाले तू,
हम से क्या लड़ पाएगा।
जीवों की हत्या करने वाले,
अब तू नहीं बच पाएगा।
बना ले तू जितना सस्ता माल,
विश्व में नहीं बिक पाएगा।
भारत के अच्छे उत्पादन के आगे,
अब तू नहीं टिक पाएगा।
मत उलझ जाना अबकी बार,
रहेगा तेरा नाम निशान नहीं।
मत ललकार चीन हमे तू,
ये बासट वाला हिंदुस्तान नहीं।।

हांगकांग ताइवान है नहीं तेरे साथ,
उन्होंने आजादी का बिगुल बजाया है।
नेपाल भूटान भी नहीं तेरे साथ,
तूने उनको खूब सताया है।
सच्चा मित्र भी नहीं पाकिस्तान,
उसका हिस्सा भी तूने दबाया है।
ब्रिटेन अमेरिका भी नहीं तेरे साथ,
तूने वहां कोरोना फैलाया है।
इन बातो को सोच समझ ले,
क्या तेरी अक्ल में कुछ आया है।
कोई भी देश नहीं तेरे साथ में,
WHO ने तुझे खूब समझाया है।
विस्तारवाद है तेरी नीति,
तेरा तो कोई धर्म ईमान नहीं,
मत ललकार चीन हमे अब तू,
ये बासट वाला हिंदुस्तान नहीं।

मत बढ़ा सीमा पर तनाव,
वरना मूह की तू खाएगा।
हटा ले अपनी फौजे LAC से
वरना तू हमेशा पछताएगा।
हम मिट्टी के नहीं बने है
फौलादी हमारा सीना है।
डोलकम को क्या भूल गया,
तेरा मुश्किल हो गया जीना था,
क्यो हट रहा है गलवन घाटी से,
जहां तूने अपनी फौज जमाई थी,
देखा जब तूने हमारी भारी सेना,
तब ही तूने अपनी फौज हटाई थी
आगे बढ़ना इन सेक्ट्रो में,
अब तेरा इतना आसान नहीं,
मत ललकार चीन हमे तू,
ये बासट वाला हिंदुस्तान नहीं।।

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।