
आवश्यकता आविष्कार की जननी है। यह कहावत युगों-युगों से प्रचलित है। जो लाॅकडाउन की पाबंदियां हटाने पर पूरी तरह स्टीक बैठ रही है।
लाॅकडाउन आवश्यक था। क्योंकि कोरोना विषाणु के फैलाव को रोकने का एक मात्र उपाय यही था। जिसे लगाकर सरकार ने एक सीमा तक लक्ष्य की पूर्ति भी की है। किन्तु सम्पूर्ण सफलता प्राप्त करने में सफल नहीं हुई।
अब समय की मांग कहें या जरूरत, परंतु लाॅकडाउन की पाबंदियां हटाना अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का एक मात्र उपाय है। इसके साथ-साथ कोरोना विषाणु से सावधानीपूर्वक युद्ध कर उसे मात देने का संघर्ष भी जारी रखा जाना अनिवार्य है।
अन्यथा स्पष्ट है कि कोरोना विषाणु से मरने से पहले हम भूखे मर जाएंगे। इसलिए काम-धंधे आरंभ करना समय की मांग और जरूरत भी है।
इसके अलावा एक महत्वपूर्ण बात सामने यह आई है कि रोगियों के स्वस्थ होने की संख्या अधिक और मृत्युदर कम हुई है। जो सकारत्मक दृष्टिकोण से देखें तो कोरोना विषाणु को मात देने वाले भारतीय अद्वितीय योद्धा हैं। जिसे सौभाग्यशाली मानना हमारा अधिकार और कर्त्तव्य है।