जल के प्रति नैतिक जिम्मेदारी

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प्रकृति के द्वारा प्रदत्त अनमोल उपहार “जल” जिसके वगैर जीवन संभव नहीं है कहा भी जाता है जल ही जीवन है। लेकिन मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जल संरक्षण और उसके स्त्रोतों पर विशेष ध्यान नहीं दिया। जल दिवस ये कहे,सुन लो मेरी बातबूँद बूँद जीवन है,ना करो इसे वर्बाद।।
आज स्थिति भयावह है।पीने का पानी की घटती मात्रा और गिरते जलस्तर को रोकने में हम पूरी तरह नकाम सावित हो रहे हैं।जल की इन्हीं समस्याओ से निपटने और जागरूकता लाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 22 मार्च 1993 को विश्व जल दिवस मनाने का निर्णय लिया तभी से इस दिन को लोग जल दिवस के रूप में मनाने लगे हैं।विभिन्न सामाजिक संगठन,स्कूल काॅलेजो में इस दिन जल सरक्षण और जल बर्वादी के उपायो पर सेमिनारो द्वारा जागरूकता के लिए संदेश दिए जाते है लेखक और समाचार पत्रों में बड़े बड़े लेख कवितायें छपती है। विभिन्न तरह के प्रचार माध्यमों का भी प्रयोग जल के प्रति संवेदनशील होने और  जागरूकता लाने का प्रयास कर रही है।सरकार के स्तर पर भी विभिन्न जल वोर्ड के माध्यम से व्यापक प्रयास होने लगे है नदियों की सफाई पर भी खास ध्यान दिया जाने लगा है।वर्तमान सरकार ने तो जल की उपयोगिता के मद्देनजर अलग जलशक्ति मंत्रालय बना दिया है जिसका काम केवल जल पर आधारित होगा।
प्रदूषण के प्रहार से, बचाव का उपायवृक्ष लगाकर बचाइये,प्रकृति का उपहार।
इन सभी प्रयासो के वावजूद भी लोग प्रतिदिन रोजमर्रा के कामो में अत्यधिक जल प्रयोग करते हैं जिससे बचना होगा एक एक बूँद की कीमत समझनी होगी।
नये मकानो के निर्माण में भी जल के भूगर्भीय संरक्षण के लिए जारी सरकार के नियमो को फोलो करना होगा।
पर्यावरण के प्रति जागरूक होना होगा अधिक वृक्ष लगाकर और विभिन्न प्रकार के प्रदूषण फैलाने वाले उपकरण से बचना होगा।
वारिश की पानी को संग्रहित करने के उपायों पर भी ज्यादा जागरूकता लाने की जरूरत है।
सदा ध्यान में रखो, जल जीवन आधारएक बूँद बचाना ही,भविष्य का उपहार।।
गर्मी आते ही देश के अधिकांश राज्यों में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है कारण नलकूप के लेयर छूट जाते है पृथ्वी के गिरते जल स्तर ने दुनिया को चिंतित कर दिया है जबकि 70%हमारी पृथ्वी पानी से घिरा रहता है।पीने लायक  पानी बहुत कम मात्रा में और सीमित समय तक के लिए होगे ऐसा हमारे भूर्गवशास्त्री और वैज्ञानिक कहते हैं।ऐसे में जल के प्रति हमारी जिम्मेदारी और बढ जाती है कि जल के लिए और आने वाले समय के लिए हम जल की महत्ता का विशेष ध्यान रखें।
सिर्फ सरकारी स्तर पर सबकुछ ठीक हो ऐसा कतई संभव नहीं है हमें भी उन कर्तव्यों के प्रति जिम्मेवार होना होगा सरकार द्वारा जारी गाईडलाइन का पालन दैनिक जीवन में करना अनिवार्य होना चाहिए तो कुछ समय के लिए इस विकट आने वाली परिस्थिति को टाला जा सके।
इतना बर्वाद ना करो,जिससे संकट आएकर्म करो धरती की, धरती फर्ज निभाए।।

“आशुतोष”

नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
पटना ( बिहार)
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति


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