
जबसे मिली है नजरें,
बेहाल हो रहा हूँ।
तुमसे मोहब्बत करने,
कब से तड़प रहा हूँ॥
कोई तो हमें बताये,
कहाँ वो चले गए हैं।
रातों की नींद चुराकर,
खुद चैन से सो रहे हैं॥
ये कमबख्त मोहब्बत,
क्या-क्या हमें दिखाए।
खुद चैन से रहे वो,
हमें क्यों रोज रुलाये॥
करना है अगर मोहब्बत,
तो आजा आज मिलने।
वरना मेरे दिल से,
क्यों खेल रहे थे अब तक॥
जो गैर से करोगे,
अब आगे तुम मोहब्बत।
खुद चैन से तुम भी,
कभी रह नहीं पाओगे॥
मुझसे किया क्यों तुमने,
इतना बड़ा छलावा।
कही का भी न छोड़ा,
प्यार में अपने फ़साके।
अब तो रहम कर दो।
सपनो में न आके॥
जबसे मिली है नजरें,
बेहाल हो रहा हूँ…॥
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।