Read Time32 Second

दिल्ली कितनी दूर है देखते हैं,
संकल्प भी भरपूर है देखते हैं।
देखते हैं युद्ध पक्ष व विपक्ष में,
लोकतन्त्र मजबूर है देखते हैं।
कर्म-धर्म निष्फल नहीं जाता,
बेबस भले जरूर है देखते हैं।
सी.ए.ए. का विरोध मत करो,
ये तो मानवीय हूर है देखते हैं।
देशभक्ति वस्तु नहीं जो दिखे,
भावना का सरूर है देखते हैं।
इंदु भूषण बाली
Post Views:
632