मार्गदर्शन करें।

0 0
Read Time2 Minute, 14 Second

नया वर्ष था।कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। परंतु एक प्रश्न के कारण मेरे पसीने छूट रहे थे,कि मैं अपनी पुस्तक ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ अपने मित्र समूह, परिवारिक सदस्यों एवं शुभचिंतकों को मुफ्त कैसे दूँ?
जिसके कारण बार-बार बुद्धिजीवी लेखकों पर क्रोध आ रहा था।जिन्होंने पुस्तकें मुफ्त बाँटने की कुप्रथा चलाई हुई थी।जो क्रोध का मुख्य कारण था।क्रोध पर नियंत्रण करने का जितना प्रयास करता उतना ही शूक्ष्म विषाणुओं की भाँति बढ़ रहा था।
फलस्वरूप कला,भाषा एवं साहित्य अकादमी जम्मू-कश्मीर व साहित्य अकादमी नई दिल्ली के साथ-साथ भारत का कल्चरल मंत्रालय भी क्रोध के लपेटे में आ रहा था।क्योंकि यह अपने संवैधानिक नियमों पर खरे नहीं उतर रहे थे।उदाहरण के तौर पर स्पष्ट करना चाहता हूँ कि संविधान आर्थिक रूप से कमजोर लेखकों को पुस्तक छपवाने हेतु ‘सब्सिडी’ अर्थात आर्थिक सहायता देने के पक्ष में है,जबकि कलाकार लेखक अपनी कला की दक्षता के कारण संवैधानिक नियमों को ताक पर रखकर भारी-भरकम ‘सब्सिडी’ अर्थात आर्थिक सहायता लेने में सफल हो जाते हैं। जिससे वह मुफ्त पुस्तकें बांटने की कुरीतियों को जन्म देते आए हैं।भले ही अकादमियों सचिव स्तर के वरिष्ठ अधिकारी इस प्रश्न के लपेटे में हैं कि वे अधिकारी वास्तव में मूर्ख हैं या भ्रष्ट?
अब बुद्धिजीवी पाठक मुझे मार्गदर्शन करें कि कड़े परिश्रम से कमाए धन द्वारा प्रकाशित पुस्तकें मुफ्त कैसे दूँ?

#इंदु भूषण बाली

जम्मू कश्मीर

matruadmin

Next Post

एक पैगाम आपके नाम....

Wed Jan 1 , 2020
नमस्कार दोस्तो, मुझे नहीं पहचाना ! कैसे पहचानोगे, अरे आज जब मैं अपने-आप को आईने में देखता हूँ तो मैं ही अपने-आपको नहीं पहचान पाता हूँ, तो आप मुझे कैसे पहचानोगे ? दरअसल क्या है न ! जैसे एक बच्चा बचपन में कितना प्यारा लगता है लेकिन बड़े होते-होते देखो, […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।