
हँसता हुआ चेहरा,
प्यारा लगता है।
तेरा मुझे देखना,
अच्छा लगता है।
घायल कर देती है
तेरी आँखे और मुस्कान।
जिसके कारण पूरा दिन,
सुहाना लगता है।।
जिस दिन दिखे न
तेरी एक झलक।
तो मन उदास सा,
हो जाता है।
क्योंकि,
आदि सा हो गया है,
तुम्हे देखने को जो।
कैसे समझाए दिल को
जो अब बस में नहीं है।।
तमन्ना है कि वो,
रोज दिखते रहे।
मेरे दिल में,
वो बसते रहे।
कभी तो हम,
उन्हें पसंद आएंगे।
अलग अलग रास्ते,
फिर एक हो जाएंगे।।
दिन जिंदगी का वो,
यादगार बन जायेगा।
प्यार का किस्सा,
अमर हो जाएगा।
जिस दिन इतिहास,
इसे दौहरायेगा।
तेरा मेरा प्यार,
दुनियां वालो को
समझ आयेगा।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।