जजमेंटल हैं क्या धीरे धीरे फ़िल्म उतर गई दिल मे

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जजमेंटल हैं क्या
धीरे धीरे फ़िल्म उतर गई दिल मे
निर्देशक :- प्रकाश कोवेलामुदी
लेखक :- कुनिका ढिल्लन
संगीत :- तनिष्क बागची
छायांकन :- पंकज कुमार
निर्माता :- बालाजी पिक्चर्स
कलाकार :- कंगना, राजकुमार, जिमि शेरगिल, अमायना दस्तूर, सतीश कौशिक,नुसरत भरुचा, विक्रांत मेस्सी, ऋषिता भट्ट,हुसैन दलाल,
समय :- 1घण्टा 57 मिंट
पहले फ़िल्म से जुड़े विवाद पर छोटी सी चर्चा कर लेते है,, फ़िल्म के पोस्टर और नाम मेंटल है क्या के विरोध में देश भर के मनोचिकित्सक विरोध में आ गए थे, इंडियन साइकेट्रिक सोसायटी (IPS) ने सेंसर बोर्ड और पीएमओ में पत्राचार से फ़िल्म के नाम पर विरोध दर्ज करवाया था कि “फ़िल्म के शीर्षक एवं पोस्टर से मनोरोग का एक विकराल समस्या का आभास हो रहा है, और फ़िल्म के बाद मनोरोगियों के साथ छीटाकशी शुरू हो जाएगी जिससे उनके स्वभाव में गड़बड़ होना तय हैं, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से फ़िल्म मनोरोगियों को नुकसान ही पहुँचाएगी,,,
मेंटल शब्द मनोरोगियों का उपहास उडाता प्रतीत हो रहा है, मनोचिकित्सकों ने यह भी तर्क दिया कि मनोरोगियों को अपमानजनक, भेदभाव, अमानवीय तरीके से पेश किया जा रहा है,, साथ ही मनोरोगियों की देखभाल कानून 2017 की धाराओं के उल्लंघन है,,,,
फिर फ़िल्म के शीर्षक में संशोधन किया गया
मेंटल है क्या से जजमेंटल किया गया,
फ़िल्म का प्रदर्शन सुपर 30 के सामने होने वाला था तो सुपर के निर्माताओं ने फ़िल्म को पहले प्रदर्शित कर इस विवाद को होने से पहले ही टाल दिया,,
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बजट
फ़िल्म का बजट 35 करोड़ ₹, प्रचार एवं प्रदर्शन पर खर्च 10 करोड़ ₹ कूल बजट हुवा 45 करोड़₹
फ़िल्म के डिजिटल,सेटेलाईट, संगीतअधिकार की बिक्री हो चुकी है 40 करोड़ ₹ में तो फ़िल्म अपनी लागत लगभग निकाल चुकी है,
फ़िल्म का प्रदर्शन 1800 स्क्रीन्स पर किया जा रहा है, कंगना, राजकुमार क्वीन के बाद अब साथ आ रहे है, फ़िल्म के ट्रेलर को देखते हुवे 4 से 7 करोड़ की शुरूआत मिल सकती है,, ओपनिंग दहाई के आंकड़े पर पहुचना मुश्किल लग रहा है,,
फ़िल्म को हिट होने के लिए 70 करोड़, सुपर हिट होने के लिए 90 करोड़, ब्लॉक बस्टर के लिए 125 करोड़ के आकड़े को पार करना पड़ेगा,,
निर्देशक पर चर्चा
निर्देशक प्रकाश की चौथी निर्देशित फ़िल्म है, साइज ज़ीरो, वन्स अपॉन ए वारियर, ए बेली फूल ऑफ वॉरियर, मेंटल है क्या
प्रकाश ने दो फिल्मो में अभिनय के साथ इतनी ही फिल्मो में लेखन भी किया है, एक फ़िल्म बतौर निर्माता भी काम कर चुके है,
कहानी
बॉबी(कंगना), बचपन की कुछ घटनाओं से मनोविकार से ग्रस्त है, उसे खुद की इस बीमारी का भान भी है, लेकिन वह खुद को इस विकार से दूर नही कर पा रही है, वह इसी विकार के साथ बड़ी हो चुकी है, उसके घर में किराएदार केशव(राजकुमार) और उसकी पत्नी(अमायरा) रहने आए है, केशव की पत्नी की हत्या हो जाती है, बॉबी पोलिस को केशव हत्यारा बताती है, यहां से फ़िल्म रहस्यों के परत दर परत चढ़ती जाती है फिर पर्दे हटना शुरू होते है
अंत मे कातिल कौन है यह जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी
फ़िल्म असमंजस(सस्पेंस) और रहस्य(मिस्ट्री) से भरपूर है उसमें निर्देशक ने बड़ी शालीनता से विसंगत का प्रयोग किया जो कि सुंदर लगता है
फ़िल्म में एक लड़का सड़क पर रोज एक तख्ती लेकर खड़ा रहता है जिस पर प्रेरणादायक सूक्ति होती है उसे निर्देशक ने फ़िल्म से बड़ी सुंदर तरीके से जोड़ा है,, जोकि तर्कसंगत विससंग (लॉजिकली एब्सट्रेक्ट)है
अदाकारी
राजकुमार अभिनय की खदान से अभिनय गुर लेकर निकले है वह उनके हर किरदार को जीवंत बनाने में महती भूमिका निभाता है, यहां भी राजकुमार मन मोह लेते है, कंगना वर्तमान में सबसे परिष्कृत अदाकारा है वह खुद अकेली अपने कंधों पर फ़िल्म को खींच सकती है यहां भी उसका एक नया रूप देखने को मिला है
शेष सतीश कौशिक, बृजेंद्र काला, जिमि छोटे छोटे किरदारो में सधे हुवे लगे है,
संगीत
तनिष्क बागची ने गाने अच्छे बनाए है जो कि कर्णप्रिय बने हैं, गाना कर सामना बार बार सुना जा सकता है,
निष्कर्ष
फ़िल्म के सामने दिलजीत दोसांझ की अर्जुन पटियाला भी प्रदर्शित हुई है,  फ़िल्म मार्स और क्लास के बीच का एक प्रयोग साबित होगी, एक प्रयोगात्मक सिनेमा है जो सभी को पसंद आए ज़रूरी नही होगा, रहस्य, रोमांच से भरपूर है
फ़िल्म को 3 स्टार्स

#इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।