पुस्तक समीक्षा : कशिश

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पुस्तक समीक्षा : कशिश

kashish

प्रेम की कविताएं,भाषा की शुद्धता, रस की गहरी समझ, और बतौर हिन्दी को विद्यार्थियों को पढ़ाने के चलते लेखक की रचनाधर्मिता उनके लेखन में दिखाई देती है। उनकी नज़्म ‘बहारें’ से शुरुआत होती पुस्तक कशिश में लेखक ने अपने प्रिय के इन्तजार को दर्शाया है। इसके बाद ‘दास्तां ए मोहब्बत’ में इश्क लिखा है। ‘शब्दांजलि’ के माध्यम से वतन की बात की है। ‘तिलिस्म ए चाहत’ में जहाँ प्रेम लिखा है वही स्वदेश प्रेम को दर्शाते हुए विंग कमांडर अभिनंदन के स्वदेश आगमन पर ‘घर वापसी’ लिखी है, जो बेहतरीन भावना प्रधान रचना है । ‘रस्म’ में प्रेम को दर्शाया और ‘होली का हुड़दंग ( घनाक्षरी छंद )’ के माध्यम से लेखक ने भारत के त्यौहार के बारे में बेहतरीन वर्णन है। ‘बदलते मौसम’ के माध्यम से लेखक ने इश्केदारियां बताई है। ‘ये कैसी आज़ादी’, ‘ख़ुशबू’, ‘याद आते हो’, ‘ओस की बूंदें’, ‘मतदान – लोकतंत्र में पुण्यदान’, ‘गुरु की महिमा’ ‘रिहाई’ आदि कविताएं भी बेहतरीन है। ‘क़शिश’  के माध्यम से  रचनाकार ने मूल प्रेम की व्याख्या की है। इस पुस्तक में प्रकाशक ने जो नया प्रयोग किया है जिसमें  लेखक की पूर्व प्रकाशित पुस्तकों पर पाठकों की प्रतिक्रियाओं को सम्मिलित करके पाठकों को भी यथोचित मान दिया है, जो काबिल ए तारीफ है। कविताओं के बीच छोटी क्षणिकाएं या कहें काव्य पुष्पों का संयोजन, सुन्दर आवरण,  गुणवत्ता युक्त पृष्ठ और अशुद्धिरहित और पाठशोधित मुद्रण संस्मय प्रकाशन के कार्यों की गुणवत्ता प्रदर्शित करती है। लेखक ने जहाँ प्रेम की सुन्दर व्याख्या की है वही प्रकाशक ने उसी बखूबी खूबसूरती से पुस्तक को प्रकाशित करके अपने दायित्व का निर्वाह किया है। पाठकों को यह पुस्तक जरूर पढ़ना चाहिए।

पुस्तक:  कशिश

लेखक: वासिफ काज़ी

कीमत: 50 रूपए (पेपरबैक)

पृष्ठ: 48 पृष्ठ

प्रकाशक: संस्मय प्रकाशन, 207 इंदौर प्रेस क्लब, इंदौर, मध्यप्रदेश – 452001

ISBN- 978-81-940450-8-3

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Sat Jun 22 , 2019
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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।