
यह केवल हमारी समस्या नहीं है…जिस रफ्तार से दुनिया चल रही है, उससे तापमान बढ़ोतरी तीन, साढ़े तीन डिग्री तक होने की आशंका है जो पूरे विश्व के लिए एक बड़ा खतरा है। रिकार्ड दर्शाते हैं कि 19 वीं सदी की औद्योगिक क्रांति के बाद से पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। कोयले और तेल के बढ़ते प्रयोग के चलते वायुमंडल के अंदर कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में तेजी से वृद्धि हुई है। मीथेन, ओजोन और अन्य गैसों के साथ धूलकण में भी वृद्धि हुई है। इन सबका विपरीत प्रभाव पृथ्वी की जलवायु पर पड़ा है।
यदि पर्यावरण को लेकर हम अब भी गंभीर नहीं होते… पेड़ों, जंगलों और नदियों के संरक्षण को लेकर अब भी जागरूक नहीं होते तो तापमान इसी गति से साल दर साल बढ़ता जाएगा और हालात बिगड़ते जाएंगे…
यह समझना बेहद जरूरी है कि पेड़ लगाना, जंगलों को कटने से बचाना, नदियों को जीवित रखना केवल सरकारों और समाजसेवी संगठनों का काम नहीं है…यह हम सब की साझा जिम्मेदारी है…यह हमारे जीवन से जुड़ा विषय है…
पृथ्वी का बढ़ता तापमान प्रकृति की ओर से एक चेतावनी है…अब भी नहीं जगे तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी इंसानों के रहने के लिए अनुकूल जगह नहीं रह जायेगी…
#डॉ. स्वयंभू शलभ
परिचय : डॉ. स्वयंभू शलभ का निवास बिहार राज्य के रक्सौल शहर में हैl आपकी जन्मतिथि-२ नवम्बर १९६३ तथा जन्म स्थान-रक्सौल (बिहार)है l शिक्षा एमएससी(फिजिक्स) तथा पीएच-डी. है l कार्यक्षेत्र-प्राध्यापक (भौतिक विज्ञान) हैं l शहर-रक्सौल राज्य-बिहार है l सामाजिक क्षेत्र में भारत नेपाल के इस सीमा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई मुद्दे सरकार के सामने रखे,जिन पर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय सहित विभिन्न मंत्रालयों ने संज्ञान लिया,संबंधित विभागों ने आवश्यक कदम उठाए हैं। आपकी विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी,लेख और संस्मरण है। ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं l ‘प्राणों के साज पर’, ‘अंतर्बोध’, ‘श्रृंखला के खंड’ (कविता संग्रह) एवं ‘अनुभूति दंश’ (गजल संग्रह) प्रकाशित तथा ‘डॉ.हरिवंशराय बच्चन के 38 पत्र डॉ. शलभ के नाम’ (पत्र संग्रह) एवं ‘कोई एक आशियां’ (कहानी संग्रह) प्रकाशनाधीन हैं l कुछ पत्रिकाओं का संपादन भी किया है l भूटान में अखिल भारतीय ब्याहुत महासभा के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान और साहित्य की उपलब्धियों के लिए सम्मानित किए गए हैं। वार्षिक पत्रिका के प्रधान संपादक के रूप में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए दिसम्बर में जगतगुरु वामाचार्य‘पीठाधीश पुरस्कार’ और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अखिल भारतीय वियाहुत कलवार महासभा द्वारा भी सम्मानित किए गए हैं तो नेपाल में दीर्घ सेवा पदक से भी सम्मानित हुए हैं l साहित्य के प्रभाव से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जीवन का अध्ययन है। यह जिंदगी के दर्द,कड़वाहट और विषमताओं को समझने के साथ प्रेम,सौंदर्य और संवेदना है वहां तक पहुंचने का एक जरिया है।
ReplyForward
|