इतिहास की आशाएं 

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mrudula sinha
इतिहास की कुछ आशाएं
हम से भी हैं
बीते को सँभालने का
कहानियों को गढ़ने का
जैसे गुजरता हो
एक एक दिन
वैसे ही गुजर जाती हैं
कई सदियां भी
इतिहास
जो गुजर जाता है
अपने अतीत
को खुद में ही दफ़न कर
कई युगों को खुद में शामिल कर
बीतता जाता है हर पल
और हर दिन गुजरते हुए
इतिहास रच जाता है
कुछ आशाएं उनकी भी है
उनके दौर को
उनके संघर्ष को
उनके रास्तों को
मंजिल तय करने के
दरम्यान आयी बाधाओं को
समेटने का
हर एहसास की जीवंत रखने का
ये आशाएं है सब संभालने का
ये हमसे ही हैं
बीते कल को यादों में रखने का
#मृदुला सिन्हा 
पटना (बिहार)

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