गर्मी का मौसम था, सूरज भी दिन भर अपनी प्रचण्ड किरणें बिखेरता रहता, गर्म-गर्म हवाएँ भी खूब झुलसाने में लगी रहतीं। गर्मी की छुट्टियों में विद्यालय भी एक महीने के लिए बन्द हो चुके थे। मेरी बी0ए0 की परीक्षा भी समाप्त हो चुकी थी, बस परीक्षा-परिणाम आना बाकी था। मेरे […]

आज एक व्यक्ति चिलचिलाती धूप में खूब नाचता, गाता, झूमता, तालियाँ बजाता हुआ उछल-कूद कर रहा था, उसे खुद अपनी सुध-बुध तक न थी। लगभग 40, 50 व्यक्ति और थे, जो उसका साथ पूरी ईमानदारी के साथ दे रहे थे झूमने, नाचने, गाने में धुत होकर। एक बुज़ुर्ग प्रतिष्ठित महिला […]

इतिहास की कुछ आशाएं हम से भी हैं बीते को सँभालने का कहानियों को गढ़ने का जैसे गुजरता हो एक एक दिन वैसे ही गुजर जाती हैं कई सदियां भी इतिहास जो गुजर जाता है अपने अतीत को खुद में ही दफ़न कर कई युगों को खुद में शामिल कर […]

काशी,काबा, तीर्थ है माता, शुद्ध प्रेममयी स्नेहिल माता। माता से नाता अति अनुपम, सबसे प्यारी मधुरिम माता।। मृदु  पुष्पों  से भरी मृदुलता, दिनमणि जैसी भरी प्रखरता। गंगाजल–सी  है  माँ  पावन, वाणी  में अति भरी मधुरता।। माँ की गोद में देव भी विह्वल, मैया  की  ममता  है अविरल। सागर–सी  गहराई  है  […]

सुधी साहित्यकार डॉ0 मृदुला शुक्ला “मृदु” की काव्य-कृति शतदल का मैंने गहन अवलोकन किया। इस कृति में 100 स्फुट रचनाएँ हैं। अर्थात मुक्तक कवितारूपी 100 पंखुड़ियाँ हैं, जो भक्ति-भावना,प्रेम-भावना,राष्ट्र-प्रेम एवं नैतिकतापूर्ण भावनाओं से ओत-प्रोत हैं। कवयित्री के द्वारा जिन वैविध्य विषयक भावों को जिस सहजता एवं सौष्ठव के साथ प्रस्तुत […]

कविता लिखी नहीं जाती, कविता स्वत: जन्म लेती है। वास्तव में मन के उद्गार ही कविता है। कवि यथार्थ के धरातल पर बैठा हुआ कल्पना लोक में स्वच्छन्दता पूर्वक विचरण करता रहता है। कवि पीड़ाओं के गहरे समुन्दर को पार करता हुआ कल्पनारूपी पतवार से अबाध गति से आगे ही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।