होली ….अबकी..तबकी

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छिपकर मधुबन में जब कान्हा-
राधा संग रास रचाते थे,
रंग भरी पिचकारी ले कर-
घर घर घात लगाते थे,
ब्रज की हर गोपी थी भोली.
भूलो अब तबकी होली….
रास रचाते धूम मचाते-
मुरली मीठी मधुर बजाते,
राधा भी सखि वृंद सहित-
मोहन की बनती हमजोली.
भूलो अब तबकी होली……
मन में बैर भाव रखकर-
द्वेष,जलन की मलते रोली,
बंसी की धुन कौन सुने-
सीटी बजती हैं गली गली.
ऐसी है अबकी होली…..
गुझिया,पापड़,दही बड़े-
अब भी बनते रहते हैं,
‘अंजुमन’ में जाकर कुछ तो-
दिल बहलाया करते हैं.
भांग,नशे की सीढ़ी चढ़कर –
कहते हैं थोड़ी पी ली.
ऐसी है अबकी होली
#डा.अंजु लता सिंह 
नई दिल्ली
 रचनाकार पूरा नाम-डा. अंजु लता सिंह 
पिता का नाम-डा. विजयपाल सिंह 
माता का नाम-सरस्वती देवी
पति का नाम -श्री देवेन्द्र सिंह गहलौत 
शिक्षा-एम .ए , पी एच. डी ,बी.एड
 व्यवसाय-अध्यापन
प्रकाशित रचनाओं की संख्या-लगभग-240
प्रकाशित रचनाओं का विवरण :—–
प्रकाशित पुस्तकें-
1. स्व.फणीश्वरनाथ रेणु के आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में संपूर्ण कथा साहित्य का विशेष अध्ययन .
2. काव्यांजलि(बाल कविता संग्रह )
3.सारे जमीं पर (जीवन मूल्यों से जुड़ी कविताओं का संकलन)
4. ‘उजाले की ओर’पुरस्कृत एवं प्रकाशित नाटिका
(कारगिल विजय के संदर्भ में)
5.’बिन पानीसब सून’
नुक्कड़ नाटिका जल मंत्रालय,नई दिल्ली द्वारा पुरस्कृत 
6.श्री घमंडीलाल अग्रवाल जी द्वारा संपादित ग्यारह पुस्तकों में क्रमशः10बाल कविताएं एवं एक बाल कथा प्रकाशित .
7.’सारे जमीं पर’ (बाल कविता संग्रह )प्रकाशित 
8.लगभग 240रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित 
9.फेसबुक से संबद्ध विभिन्न साहित्यिक मंचों पर लगभग 38 सम्मानपत्र (कुछ पुरस्कृत भी )प्राप्त
2004 से 2017 के अंतराल में चार बैस्ट टीचर अवार्ड से सम्मानित ।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।