स्वच्छता केवल भारत के लिए ही नहीं अपितु समाज , घर और हर व्यक्ति के लिए जरूरी होती है। अब तो इसे अभियान के रूप में भी चलाया जा रहा है।
अनेक संस्थाएं भी इस दिशा में जन सामान्य को जाग्रत करने की दिशा में पहल कर रही हैं जिसके परिणाम भी सबकी सहभागिता के रूप में परिलक्षित हो रहे हैं ।
देश में व्याप्त गंदगी और फैलती महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य के परिप्रेक्ष्य में सबसे पहले यदि देशवासियों को स्वच्छता का संदेश किसी ने दिया था तो वे थे महात्मा गांधी जिन्होंने स्वयं अपना मैला ढोकर और अपने साथियों के साथ अन्य स्थानों की स्वच्छता का कार्य प्रारंभ किया था ।
उनके इस अभियान की विस्तृत चर्चा न करते हुए यहां मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ की स्वच्छता से स्वास्थ्य का सीधा सम्बंध होता है ।
हम सब अपनी और अपने घरों की साफ सफाई का तो ध्यान रखते ही हैं लेकिन अनेक ऐसे घर – परिवार भी हैं जो आज भी कूड़ा कचरा सड़कों पर ही फेंकते हैं । यही नहीं , व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के अतिरिक्त कुछ विकृत मानसिकता के लोग सार्वजनिक स्थानों को भी अपनी बपौती मानकर उन्हें जान बूझकर गंदा करते हैं । चाहे वे सार्वजनिक शौचालय हों या रेल के प्रसाधन स्थल । आलावा इसके यहां – वहां पान – तम्बाकू की पीकेँ भी इनकी विकृत कला का उदाहरण होता है।
यही सब देखते हुए सरकारी स्तर पर अब ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है । कचरा इकट्ठा करने हेतु घर तक आती गाड़ियां , सार्वजनिक स्थलों को गंदा करने पर सजा और जुर्माना आदि के प्रावधानों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है । स्वच्छता दूत भी बनाए जा रहे हैं जो इन सब पर नजर रखते हैं लेकिन क्या यह पर्याप्त है ?
सरकार लाख प्रयास कर ले , करोड़ों अरबों की योजनाएं और अनुदान संस्थाओं को या व्यक्तिशः वितरित कर दे फिर भी जब तक नागरिक अपने कर्तव्य नहीं समझेंगे तब तक सब बेमानी ही होता है । आंशिक सफलता का व्यापक प्रदर्शन वाह वाही तो दे सकता है मगर यह किसी को भी अच्छा स्वास्थ्य नहीं दे सकता ।
अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ भारत के लिए जरूरी है हम सिर्फ और सिर्फ सरकारी योजनाओं का गुणगान ही न करें बल्कि खुद में भी परिवर्तन लाएं । इसके लिए जरूरी है स्वच्छता के मूलभूत सिद्धान्तों पर ध्यान दें ।। सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी फेंकने और करने वालों को उचित सबक सिखाएं या इसकी सूचना सम्बंधितों को देकर अपने कर्तव्य का निर्वहन करें , तभी स्वच्छता और स्वास्थ्य को बचा सकेंगे , अन्यथा जो चलता है वह तो चलता ही रहेगा।
#देवेन्द्र सोनी , इटारसी