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अनुराधा और नीलम 12वीं की परीक्षा पास कर ली थी। आज वह दोनो जम्मू विश्वविद्यालय में पत्राचार माध्यम से बी.ए. प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने आई थी। उन दोनों को न तो विश्वविद्यालय के विभागों की जानकारी थी और न ही वहां कोई जान पहचान का था। वह दोनों बहुत परेशान थीं। पास खड़ा तरसेम उनकी परेशानी भांप गया। क़रीब जा कर बोला ,”मेरा नाम तरसेम है। इसी विश्वविद्यालय के डोगरी विभाग में एम.फिल . कर रहा हूँ। आप कुछ परेशान लग रही हैं क्या मैं आपकी कुछ सहायता कर सकता हूँ।”
एक अजनबी का इस प्रकार उनसे बोलना और फिर सहायता के लिए आग्रह करना अनुराधा और नीलम को अटपटा सा लगा। लेकिन कोई और रास्ता भी तो नहीं था। उन्होंने झिझकते हुए कहा ,” हम बी.ए. प्रथम वर्ष में पत्राचार माध्यम में प्रवेश लेना चाहती हैं। हमें विश्वविद्यालय के बारे में कुछ भी पता नहीं है……..”
तरसेम ने उनको सबसे पहले पत्राचार विभाग दिखाया। प्रासपैक्टस ख़रीद के दिए। प्रवेश के सभी नियम विस्तार से समझाए। फिर फ़ार्म भर कर ,फीस बग़ैर जमा करवा दी। और इस प्रकार दौड़ धूप करके एक ही दिन में उनको प्रवेश दिलवा दिया। उसके बाद सारे विश्वविद्यालय में घूमाया और सभी विभागों की जानकारी दी। दोपहर हो चली थी तरसेम उनको कैंटीन में ले गया और खाने का आर्डर दे दिया। दोनों सहेलियाँ जो पहले सामान्य हो चुकी थीं अब घबराने लगीं थी। कहीं यह अजनबी हमें अपने किसी जाल में तो नहीं फंसा रहा। है? इसी उधेड़बुन में उन्होंने खाना भी खाया। तरसेम ने खाने का बिल चुकाया और उनको विदा करने बस स्टैंड तक उनके साथ गया। अपने गाँव वाली बस में बैठ कर दोनो सहेलियाँ राहत महसूस कर रहीं थीं।
अनुराधा और नीलम ने बड़े ही अदब के साथ तरसेम का धन्यवाद किया और कहा हम ,” हम आपका एहसान कैसे चुका पाएंगे। “
” इसमें एहसान वाली कोई बात नहीं है। मैं खुद गाँव से हूं। और मैने वही किया जो एक भाई अपनी बहनों के लिए कर सकता है। “
दोनों सहेलियों की आँखें छलक आई थी। उनको अपनी सोच पर घृणा आ रही थी।।बस चल पड़ी थी। दोनों सहेलियाँ चुप्पचाप सोच में गुम थीं।
#यशपाल निर्मल
परिचय:श्री यशपाल का साहित्यिक उपनाम- यशपाल निर्मल है। आपकी जन्मतिथि-१५ अप्रैल १९७७ और जन्म स्थान-ज्यौड़ियां (जम्मू) है। वर्तमान में ज्यौड़ियां के गढ़ी बिशना(अखनूर,जम्मू) में बसे हुए हैं। जम्मू कश्मीर राज्य से रिश्ता रखने वाले यशपाल निर्मल की शिक्षा-एम.ए. तथा एम.फिल. है। इनका कार्यक्षेत्र-सहायक सम्पादक (जम्मू कश्मीर एकेडमी आफ आर्ट,कल्चरल एंड लैंग्वेजिज, जम्मू)का है। सामाजिक क्षेत्र में आप कई साहित्यक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं में सक्रिय रुप से भागीदार हैं। लेखन में विधा- लेख,कविता,कहानी एवं अनुवाद है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन विविध माध्यमों में हुआ है। सम्मान की बात करें तो साहित्य अकादमी का वर्ष २०१५ का अनुवाद पुरस्कार आपको मिला है। ब्लॉग पर भी सक्रिय यशपाल निर्मल को कई अन्य संस्थाओं द्वारा भी सम्मानित किया गया है। आपके लेखन का उद्देश्य- समाज में मानवता का संचार करना है।
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Tue Oct 30 , 2018
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