मुझे उनका दीदार कई बार देना

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salil saroj
मैं ग़मों से घिरा हुआ हूँ कई सदी से
तुम आना कभी तो नज़र उतार देना
माँ नहीं रही तो कमी बहुत खलती है
तुम आना तो मेरा आँगन बुहार देना
अँधेरों का शागिर्द ही हो गया हूँ जैसे
रौशनी सा तुम मेरा जीवन सुधार देना
वक़्त सारा उड़ गया काम-काजों में
मुझे भी अब कोई खाली इतवार देना
जिसे चाहा बस वही मेरा न हो पाया
मुझे न अब कोई रिश्तों का बाज़ार देना
तू चाहता है कि साँसें कुछ दिन और चलें
तो खुदा मुझे उनका दीदार कई  बार देना
#सलिल सरोज

परिचय

नई दिल्ली
शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011),  जीजस एन्ड मेरीकॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)।

प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका”कोशिश” का संपादन एवं प्रकाशन, “मित्र-मधुर”पत्रिका में कविताओं का चुनाव।सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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