Read Time2 Minute, 16 Second
दिल को बच्चा बनने देते है
दिल की ख्वाहिशों को एक बार
फिर से मचलने देते है
आँखों में फिर से एक बार
इक ख्वाब पलने देते है
दुनिया की इस भीड़ में
ज़रा- सा सुकून पाने के लिए
आओ इस दिल को इक बार
फिर से बच्चा बनने देते है।
फिर वही तारों , जुगनुओं से भरी रातें होंगी
फिर वही कंचों , गिल्ली -डंडों की बातें होंगी
अपनी छोटी – छोटी सी ज़िदों को मनवाने के लिए
फिर से क्यों न वही माँ का आँचल पकड़ लेते है
फिर से इक बार इस दिल को बच्चा बनने देते है।
क्यों ना फिर से गर्मियों की धूप में खेलें
क्यों फिर से बारिशों में , कागज़ की वो नावें छोड़ें
क्यों ना फिर से रज़ाइयों में छुपकर , मूंगफलियों की फांकें तोड़ें
क्यों ना फिर से बसंत के मेले में
पिता का हाथ थाम लेते है
फिर से दिल को बच्चा बनने देते है
#रिंकल शर्मा
परिचय-
नाम – रिंकल शर्मा
(लेखिका, निर्देशक, अभिनेत्री एवं समाज सेविका)
निवास – कौशाम्बी ग़ाज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश)
शिक्षा – दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक , एम ए (हिंदी) एवं फ्रेंच भाषा में डिप्लोमा
अनुभव – 2003 से 2007 तक जनसंपर्क अधिकारी ( bpl & maruti)
2010 – 2013 तक स्वयं का स्कूल प्रबंधन(Kidzee )
2013 से रंगमंच की दुनिया से जुड़ी । बहुत से हिंदी नाटकों में अभिनय, लेखन एवं मंचन किया । प्रसार भारती में प्रेमचंद के नाटकों की प्रस्तुति , दूरदर्शन के नाट्योत्सव में प्रस्तुति , यूट्यूब चैनल के लिए बाल कथाओ, लघु कथाओंं एवं कविताओं का लेखन । साथ ही 2014 से स्वयंसेवा संस्थान के साथ समाज सेविका के रूप में कार्यरत।
Post Views:
412