अकर्मण्यता

0 0
Read Time2 Minute, 18 Second
salil saroj
ये तुम्हारी जड़ता
तुम्हारी अकर्मण्यता
एक दिन उत्तरदायी होंगी
तुम्हारे ह्रास का
और
कठघरे में खड़ी होंगी
और
जवाब देंगी
सृष्टि के विनाश का
परिस्थतियाँ खुद नहीं बदल जाती हैं
या
सम्भावनाएँ यूँ ही नहीं विकसित हो जाती हैं
पूरी की पूरी
एक नस्ल
एक पीढ़ी को
अपनी आहुति देनी पड़ती है
और
तैयार करनी पड़ती है
अगली पीढ़ी के लिए वो संस्कार
जिनके हम कुपोषित है
और
पैदा करनी पड़ती हैं संस्कृति की फसल
जिसे हम रौंदते जा रहे हैं
और
नियंत्रित करना पड़ता है
खुद के अभिमानों को
जिसने तय कर दी हैं हमारी क्षमताएं
जिससे आगे हम सोच नहीं पाते
समझ  नहीं पाते
और
बिलबिलाते हैं किसी कीड़े की तरह
एक रोज़ यूँ ही घुटन से मर जाने के लिए
हम दोषी है
अपनी अगली पीढ़ी के
जिसका भविष्य हम खा चुके हैं
जिसकी नसों का खून तक पी चुके हैं
और
जिनके साँसों में हम ज़हर खोल चुके हैं
#सलिल सरोज

परिचय

नई दिल्ली
शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011),  जीजस एन्ड मेरीकॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)।

प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका”कोशिश” का संपादन एवं प्रकाशन, “मित्र-मधुर”पत्रिका में कविताओं का चुनाव।सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मानवता की खिल्ली को

Thu Sep 20 , 2018
(भूख से मरी वो दोनों बच्चियां मुझे सोने नहीं दे रहीं रोज रात को आकर वो मुझसे खाना मांगती हैं रोटी दिखाते ही वो हँसकर लौट जाती हैं । अगर आदमी जैसा कुछ भी है शरीर में तो सोंचिये विचारिये मनन करिए और उनके जान जाने के दर्द को महसूस […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।