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वो मिलने आ रहे थे किसी और काम से ।
दुनिया ने यूँ ही जोड़ लिया है हराम से ।।
जब भी हुआ चुनाव तो झंडा उठा लिए
मतलब इन्हें कहाँ है न अल्ला न राम से ।।
ऐसा नहीं कि उससे ताअल्लुक नहीं रखा
खत भेजता रहा हूँ किसी और नाम से ।।
वो छोड़ के जाएगा भी तो लौट आएगा
रिश्ता तो पुरशुकून है मयकश का जाम से ।।
फंस जाएगा शिकार जरा मुतमइन तो हो
वो कत्ल भी करता है बड़े एहतराम से ।।
#दिवाकर पाण्डेय
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